एक वक्त था जब हम कोशिश करते थे आगे से बात शुरू करने की , अगर ना सुनने को मिलता तो हिम्मत नही हारते , जलील होते पर फिर से हिम्मत करते और पूछते उस से क्या खराबी है हम में प्यार तो करते हैं ना, ऐसा एक बार नहीं हुआ और ना एक के साथ हुआ कितनी बार कितनो के साथ हुआ ।
अब मन भर गया है इन मतलब के जिस्मानी रिश्तों से , अब न मन नही करता किसी से बात करने का , किसी को अपना बनाने का , शायद उम्र बढ़ गयी तो जिम्मेदारियां भी और शायद परिपक्वता भी !
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