अब खुलकर बात कहाॅं होती है उनसे ,
जिनपे हम दिल हारे बैठे हैं ।
बदलते वक्त के साथ,
शायद हम थोड़ा बदल सा गये हैं ।
पहले तो ना होती थी,
इतनी तकल्लुफी हममें ।
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तेरा यूॅं मुड़के मुस्कुरा देना , उफ्फ.................
तेरी इसी अदा पे मैं दिवाना, खिंचा तेरी ओर आता हूॅं ।।-
छुना सम्हल के अब फूलों को साथी ।
जाने क्या हो गया है उपवन को अब ।
नज़ारे वही हैं, पर स्पर्श अलग ।
कुछ क्या ? बदल गया है सबकुछ ।
प्यार की अब परिभाषाएं अलग हैं ।
हर रिश्ता स्वार्थ में लिप्त यहाॅं ।
कौन कहाॅं कब कैसे छल ले ?
इसकी कोई प्रत्याभूति नहीं है ।-
प्रीत की लौ लिए दिल में,
इस सोंच में डूब रहे हैं हम ।
कब तेरे दीदार से,
दिल मेरा गुलजार होगा ?
कब तेरा नेह पाकर,
रौशन मेरा दिल-ए -बदनाम होगा ?????-
मेरे पहलू में मेरा दिलदार जो आ के बैठा है ।
ये धरती भी जन्नत -ए -हूर सी लगती है मुझे ।।-
जीवन के काले कागज़ पे,
सुनहरे कलम की स्याही से
मैंने तेरा नाम लिखा ।
कुछ पल के लिए हीं सही,
एक उजाला था मन के अम्बर पे ।
फिर बढ़ती जीवन की कालिमा में
वो नाम कहीं ओझल था हुआ ।
ताउम्र ! फिर ढ़ूंढ़ा है हमने,
जिस नाम पे हक हमारा था ।
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फूलों से भी प्यारा, तू फूल है मेरा ।
तेरी खुबसूरती के आगे ये जग लगे फीका ।।-
मुझे कभी कुछ कहते हीं नहीं ।
हम भरम में जी लेते
इस कदर यूॅं दर्द सहते हीं नहीं ।
था बड़ा गुमान हमें,
कुछ पल के लिए हीं सही
तेरे दिल पे राज हमारा था ।
पर तेरे लिए तो हमारा वो प्यार,
बस एक मन बहलाना था ।-