Priyanka Saxena   (Priya)
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Joined 30 June 2017


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30 NOV 2021 AT 10:44

मातृभूमि पर यह जंग की, सरहदें बनी क्यों है
मातृभूमि है सबकी माता, तो फिर बटी क्यों है!

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7 NOV 2021 AT 18:58

दिवाली हर जगह एक जैसी नहीं होती, जहां सौ दीये भी एक बड़े से घर को रोशन नहीं कर पाते, वही एक दिया कहीं पूरे घर को रोशनी और मुस्कान दे रहा होता है !

Priyanka

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1 MAY 2021 AT 12:35

बेबस है जहां इंसान भी, लोग फायदा उठाएं जा रहे है, जिंदा इंसान की कीमत बची नहीं, मुर्दों पर बोली लगाए जा रहे हैं, सांसों की कीमत को कोई नहीं गिन रहा, मरने के बाद भी कर्जा चढ़ाई जा रहे हैं

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6 APR 2021 AT 14:11

भूल कर सारी फिक्र, खुद को जीना चाहती हूं
पंख फैलाकर उस खुले, आसमान को छूना चाहती हूं

लेकर उन बादलों का पानी, खुद को भिगोना चाहती हूं
सूरज की रोशनी से मन के, अंधेरे को मिटाना चाहती हूं

सागर की लहरों की तरह, यूं ही बहना चाहती हूं
फिर रेत पर चलकर, अपने निशान छोड़ना चाहती हूं

चांद की चांदनी की तरह , यूं ही जगमगाना चाहती हूं
फिर अपनी उंगलियों से, तारों को गिनना चाहती हूं

जगमगाते जुगनू अपनी, मुट्ठी में कैद करना चाहती हूं
बागों के फूलों की तरह , घर में महकना चाहती !
Priyanka










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24 FEB 2021 AT 12:20

बचपन में उंगली पकड़ के चलना सिखा दिया,
अब लाठी पकड़ा देना सही नहीं,

अपनी नींद खराब करके हमें सुकून की नींद दी,
अब उनके परिवार ना करके सुकून से सोना सही नहीं,

बचपन का सहारा होते हैं मां बाप,
अब बुढ़ापे में उनको सहारा ना देना सही नहीं,

Priyanka

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14 SEP 2020 AT 13:25

ना हारा हूं ना हांरूगा मैं,
जिंदगी की जंग को जीतूंगा में ,

फिर पकड़ के जीवन की डोर,
उन खुली हवा में सांस लूंगा मैं ,

निशब्द पड़ी है कलम मेरी,
फिर सीता की अनसुनी गाथा लिखूंगा मैं,

अपने विचारों को शब्दों में पिरो के,
हर किसी के दिल में हमेशा रहूंगा मैं!

This is for you Nanaji
----😔RIP
Priya...


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4 SEP 2020 AT 17:02

अगर खत्म हो जाए, अस्तित्व औरत का इस जहां से, तो सृष्टि कैसे चलेगी, तू हर बार छलनी करता है दामन औरत का, तू बता तेरी हस्ती कैसे बचेगी...

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14 JUL 2020 AT 18:06

माँ तूने बोला के तुझे हिचकियां आई
और मेरा नाम लेने से रुक गई,

हां याद किया था मैंने तुझे आधी रात को
कुछ टूटा था अंदर उसे जोड़ रही थी,

पर बिन कहे पता तुझे चल गया माँ!

-Priya

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14 JUL 2020 AT 17:58

माँ तूने बोला के तुझे हिचकियां आई
और मेरा नाम लेने से रुक गई,

हां याद किया था मैंने तुझे आधी रात को
कुछ टूटा था अंदर उसे जोड़ रही थी,

पर बिन कहे पता तुझे चल गया माँ!

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13 JUL 2020 AT 15:28

हर बार सर अपना नहीं झुका सकती
थोड़ा मान मेरा भी रखना होगा,

सात फेरे और रीति रिवाज से लेकर आए हो
थोड़ा सम्मान मेरा भी रखना होगा,

बगावत नहीं करनी है अपनों से
पर थोड़ा ध्यान मेरा भी रखना होगा!

Priya

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