priya sharma   (Priya jyoti)
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Joined 15 April 2021


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Joined 15 April 2021
31 MAR AT 23:06

चल आज फैसला ये सरे-आम करते हैं।
जो कभी मेरा था फिर से उसे मेरे नाम करते हैं।।

ना कोई तड़प,ना कोई झिझक,
ना सवालों के जवाब की उम्मीद,
ना कोई सिसक,
वो पूरा आसमाँ मेरा हो, चल एक ऐसा काम करते हैं।
जो कभी मेरा था, आज फिर से उसे मेरे नाम करते हैं।।

उसके हिस्से में सारी आज़ादी,
मेरे हस्से मे पाँव की बेड़ियाँ हीं क्यूँ ?
क्यूं उसके हिस्से में मर्ज़ी उसकी,
मेरे हिस्से मे उम्र की सीमा हीं क्यूँ ?

चल आज इन बंदिशों को जड़ से उखाड़ फेकते हैं।
जो कभी मेरा था फिर से उसे मेरे नाम करते हैं।।

आज हर बंधन से खुद को आज़ाद करते हैं।
धूमिल सी मेरी इस पहचान को फिर से साफ करते हैं।।
जो कभी मेरा था फिर से उसे मेरे नाम करते हैं।
चल आज फैसला ये सरे-आम करते हैं।।

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16 JUN 2024 AT 0:07

हम जानते हैं वो हमारे नहीं हैं।
जिस ओर बह चले हैं वहाँ किनारे नहीं हैं।।
भर आता है दिल उन्हें किसी और के साथ देख कर।
अब मलाल तो इस बात का है की,
उनसे ये कह भी नहीं पाते
और बिना कहे रह भी नहीं पाते...।।🙂

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17 MAY 2024 AT 14:22

वो रात बड़ा घंघोर था, अंधेरा चारो ओर था।
सहमी सी घबराई सी वो, दिल में अलग सा शोर था ।।
जा रही थी थक हार कर, वो तो अपने घर की ओर ।
पड़े भेड़िये उसके पीछे, समझ वो बैठी उनको चोर।।
कहा उसने ले लो मेरे, पैसे और ये सारे जेवर।
पता ना था वो तो हैं भूखे, बस उसकी चमड़ी को लेकर।।
चीखी और चिल्लाई बहुत वो, ना मिला एक मदद का हाथ।
तड़प रही थी बेबस जान वो, कोई ना था वहाँ उसके साथ।।
नोच रहे थे बोटी-बोटी, थे वो एक ऐसे दरिंदे।
दर्द मे थी वो इतनी बेचारी, की उड़ गये उसके प्राण परिंदे..........।।

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26 NOV 2023 AT 10:26

ये दिल उन्हें अपना मान बैठता है
और हर दफ़ा उसे ये समझाना पड़ता है
कि, यूँ उम्मीदें ना रख फ़िर से उनसे
वो वक़्त गुज़र चुका है
अब हम बस ग़ैर हैं किसी के
तू क्यूँ फ़िक्र करता है,
हम भी तो लिखे होंगें मुकद्दर में किसी के...🥀🥀

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25 JUN 2023 AT 21:16

ऐ नसीब! ज़रा एक बात तो बता,
तू उनसे मिलवाता हीं क्यों है?
जिनके साथ ज़िंदगी मुमकिन नहीं होती.....

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12 OCT 2021 AT 21:47

उठो द्रौपदी वस्त्र संभालो।
अब गोविंद ना आएंगे।।
उसने लगाई थी गोविंद पे आस।
अब वो तुमसे आस लगाएंगे।।

आज की नारी बनो द्रौपदी।
बीत चुका महाभारत काल।।
दुष्ट दुशासन खड़ा समीप है।
चलो करो अब शस्त्र संधान।।

अब, ना कोई गांडीव ना कोई भाला।
तुम्हारे लिए उठाएगा।।
रक्षा करो अब तुम स्वयं की।
फिर हर मस्तक झुक जाएगा।।

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12 SEP 2021 AT 18:46

जिसके होने से किसी को,कोई फर्क ना पड़ा
आज उसके ना होने से,सब अफ़सोस जता रहे हैं
देख!आज उसे सब अपने काँधे पे लिए जा रहे हैं...

जिसकी दहलीज़ पे आना,किसी को गवारा ना था
आज उसके घर की ओर,सब झुंड बनाये जा रहे हैं
देख!आज उसे सब अपने काँधे पे लिए जा रहे हैं...

जिसकी ओर देखते हीं,मुँह फेरा करते थें लोग
आज उसी की ओर देख,अपने अश्क़ बहाये जा रहे हैं
देख!आज उसे सब अपने काँधे पे लिए जा रहे हैं...

जब तक सांसे चली,कोई अपना भी क़रीब ना था
अब साँसों की डोर टूटते हीं,
पराये भी उसे अपने सीने से लगाए जा रहे हैं
देख!आज उसे सब अपने काँधे पे लिए जा रहे हैं...
आज उसे सब अपने काँधे पे लिए जा रहे हैं...

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15 AUG 2021 AT 18:35

ना हो कोई बेड़ियाँ
ना हो कोई जंज़ीरें
एक सच्ची आज़ादी का भोर लायें
हिन्दू-मुस्लिम सब हों एक साथ
चलो मिलकर ये सुनहरा दौर लाएं
साथ मिलकर लगाएं इंकलाब के नारे
जिसे सुन गूंज उठे ये धरती
और फिर से जी उठें सारे
जात-पात की क़ैद से निकल कर
जहाँ मानवता हीं मानवता हो
चलो!आज ऐसा धर्म अपनाएं..🇮🇳

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7 AUG 2021 AT 22:17

दर्द उसे भी होता है
दिल उसका भी रोता है
वो मर्द है तो क्या हुआ
सम्मान तो वो भी खोता है

हाँ वो कुछ कहता नहीं है
अपने आंसू दिखता नहीं है
घुटन भरी ज़िंदगी से जूझता रहता है
मग़र किसी को बताता नहीं है

अग़र जिस्मों को दिखाना
हर औरत की मजबूरी नहीं है
उसी तरह हर बार एक मर्द हीं ग़लत हो
ये भी तो ज़रूरी नहीं है

औरत की आंखों में
तुम्हें अग़र दर्द दिखाई देता है
तो एक बार उस बेबस की भी सुन लो
क्योंकि सच तो वो भी कहता है

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1 AUG 2021 AT 12:47

😎..तेरी दोस्ती पे हमें नाज़ है..😎
😂..तेरे मुहँ से निकली गाली भी एक साज़ है..😂
😏..बदल जाये चाहे ये दौर और दस्तूर..😏
🤗..मग़र तू वैसे हीं रहना जैसे आज है..🤗

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