अच्छा जी मैं हारी,चलो अब मान जाओ न
ऐसी भी क्या बेरूखी,कुछ तो बतलाओ न
तुम कहते थे न, गलती को स्वीकार करो
लो मान लिया खता हुई, अब पास तो आओ न
दिल नहीं मानता, जब बात नहीं होती तुमसे
खता हुई गर ,खफा हो हमसे,तो सजा बताओ न
करदो मुआफ, गर देर हुई हो आने में
रूठ कर यूं ,मेरे दिल का ,दर्द बढाओ न
कब तक रह पायेंगे ,आखिर,यूं दूर हम तुमसे
छोड़ो भी ये जिद अपनी, मान भी जाओ न
अजनबी हम-तुम थे, किस्मत ने मिलाया है
अब भूल के शिकवे-गिले सब, मिस्कुराओ न- Anamika
29 JUN 2019 AT 2:22