कुछ बात पूरी नहीं हुई
तो कुछ मुलाक़ात अधूरी हुई,
कम्बख्त इस खालीपन का भी अलग ही रौब है
कभी खतम ही नही होता,
क्या ही बताए उन झगड़ो के बारे
वो तो और भी खास है|
वो बात करते करते उसका कहना
" देर हो रही, जल्दी जाना है" बोलकर, और बातें करना
सच में बहुत अजीब लगता था,
पर देखो ना, आज भी सब याद है,
वो तुम्हारे बेमतलब की बातें सुनना,
तुम्हारे नखरे करना, अरे! हाँ, वो तुम्हारा
जाते जाते पिछे पलट कर देखना और मुस्कुराना,
कुछ भी नहीं बदला, आज भी सब वैसा ही लगता है,
बस अब हम पास होकर भी थोड़ा दुर है|
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