कुछ ख्वाब लेकर आया एक नए शहर
पिछे छोड़ वो रातें,
अब दोस्तों से भी नहीं हो पाती बातें
बस पास है थोड़ी यादें,
और कुछ मुसकुराती तो कुछ भीगी रातें,
कुछ ख्वाब लेकर आया एक नए शहर
पिछे छोड़ वो सब बातें|-
I love to visit new places a... read more
सच जानते हुए भी उसके झूठ को सच कहा
उसके खुशी के लिए बस इतना किया,
बातें करनी थी फिर भी खामोश रहा
सोचता रहा पूछे उससे उसका हाल कभी
बस उसकी मुस्कान देख थम गया
दिल में दबाए हर एहसास रखा,
हाँ, उसके लिए बस इतना ही किया|-
हजारों की इस भीड़ में
मिले बहुत से लोग,
कुछ बने अपने,
पर कुछ एसे भी थे, जो सिर्फ
मतलब से थे दोस्त,
क्या कहे इनको
जब कभी हुई जरूरत मेरी, आ गए पास
रिश्ते भी झूठ के बुनियाद पे थे
रहने का जो सोचे थे साथ
वो भी बस एक ख्वाब से थे,
हुआ दर्द जब सच का एहसास हुआ
फिर याद आया
हजारों के इस भीड़ में कोई न किसी के साथ हुआ,
ये भी तो था एक सपना ही
जो वक्त के साथ तूट गया,
और जो रह गए अपने
उनका बहुत बहुत शुक्रिया|-
कभी कभी कितना अधूरा लगता ये दिन,
ख्वाहिश है जिसकी उसमे मन नहीं लगता,
करना तो बहुत कुछ है
पर दिन मायूस सा गुजरता
फिर रात गुजर जाती खुद से तहकीकात मे
सोच ये सब खुद को कोसता
और फिर छुपाने के लिए इस दर्द को हूँ हँसता|-
कुछ तो है जो कहना था
पर कभी कह नहीं पाए,
जब जाते उसके सामने
तबस्सुम मे उसके खो जाते,
सिलसिला ये चलता रहा
आचानक सबकुछ ओझल हो गया
जैसे लगता है वो वक्त दूर कहीं पिछे खो गया
जिसको सोच अब कभी रोते हैं तो कभी मुसकुराते|-
The feelings are tickling
A dream chasing reality
Everyone busy in their stuffs,
In all this rush
There is a face who is looking on the way
Finding footsteps which disappeared days back
And eyes looking for a face,
Everything running but still at same place,
The face chasing the race,
Wishes for fulfilling the desires of that tired waiting eyes and the smile.-
कभी कुछ खो कर पाया
तो कहीं दुर होकर नजदीक आया,
इस सफर के नजदीक जा रहा हूँ
या पाने की आश में बहुत कुछ पिछे छोड़े आया हूँ,
ये पल दो पल का लम्हा बहुत जल्दी बित गया
या फिर उन लम्हों में भी कुछ छूट गया
सब उलझे हुए हैं बस लगते हैं रास्ते सुलझे हुए है,
कभी कुछ खो कर पाया
तो कहीं दुर होकर नजदीक आया
जो भी हो
ये बात कभी समझ नहीं आया|-
उस वक्त भी हम भीग रहे थे
बारिश में
जब सारे शहर में सूखा था,
आखिर कब तक कोशिश करेंगे
उसका हमनवा रहने की
जिससे ये हाथ कभी इसी सफर में छुटा था,
आज भी वो फूलों का गुलदस्ता
बिखरा हुआ है हूबहू यादों की तरह,
ये क्या हो रहा, क्यूँ हो रहा
कुछ समझ नहीं आ रहा
बस भीगे जा रहा हूँ बारिश में
या यूँ कहे की
ये बारिश मुझे भीगा रही|-
कुछ बात पूरी नहीं हुई
तो कुछ मुलाक़ात अधूरी हुई,
कम्बख्त इस खालीपन का भी अलग ही रौब है
कभी खतम ही नही होता,
क्या ही बताए उन झगड़ो के बारे
वो तो और भी खास है|
वो बात करते करते उसका कहना
" देर हो रही, जल्दी जाना है" बोलकर, और बातें करना
सच में बहुत अजीब लगता था,
पर देखो ना, आज भी सब याद है,
वो तुम्हारे बेमतलब की बातें सुनना,
तुम्हारे नखरे करना, अरे! हाँ, वो तुम्हारा
जाते जाते पिछे पलट कर देखना और मुस्कुराना,
कुछ भी नहीं बदला, आज भी सब वैसा ही लगता है,
बस अब हम पास होकर भी थोड़ा दुर है|-