19 DEC 2017 AT 9:19

घने अंधेरों में उजाले कि आस है,
रुकना ना कभी कह रहा विश्वास है,
एक दिन माथे से टपकती बूंद बता देगी
तुझे कि जीत आस पास है ।

- बाबू