Preeti Shrivastava   (प्रीति 'पल्लवी')
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Housewife raipur
Joined 17 October 2019


Housewife raipur
Joined 17 October 2019
16 OCT AT 23:19

मन के भला
निकाले कैसे,
तन्हा खुद को
जमाने मे
संभाले कैसे
दिखावे का दस्तूर
निभाए कैसे l
चीखती सांसो को
सीने मे दबाएं कैसे l

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16 OCT AT 23:09

यू तो टुकड़ो मे जीना हमें मंजूर था,
मगर मरना नहीं l
ख़्वाब अधूरा भी अपना नूर था,
मगर चकनाचूर नहीं l

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13 SEP AT 19:01

कभी-कभी सोचती हूँ
मैं जहाँ भी हूँ वही अच्छी हूँ l
तुम जहाँ भी हो वही अच्छे हो,
यू दूरियों मे भी खामोश एहसास,
जैसे भी है मगर सच्चे है l

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24 AUG AT 22:56

सिसकियाँ खामोश है क्या अब दर्द नहीं होता,
पूछती हूँ खुद से मैं,
यू मर कर जीना क्या कर्ज़ नहीं होता l

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27 JUL AT 22:45

अपने अहवाल अपनी रूह जैसे है,
बदल गया तन -मन फिर भी ये ना बदले है l

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21 MAY AT 15:44

मे
वक्त का पहिया घूमकर,
हालात पुराने ले आता है l

कहानी,
नई लिखनी होती है l


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3 MAY AT 20:59

हमारे लिए तो इश्क ही गुनाह था,
फिर उसे दोस्ती कह देना सज़ा हो गया l

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26 APR AT 20:29

ज़िम्मेदारियां इतनी बढ़ी के,
मन की मृत्यु हो गई l
तुम मिले जो कभी,
तो पुनर्जन्म होगा मेरा l

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5 APR AT 23:23

मेरी रूह का तेरी यादों संग झूमना,
बस यही एक सच बाकी तो फ़साने ठहरे l
तू ठहर गया मुझमें बसंत बनकर,
बाकी सारे मौसम पुराने ठहरे l

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1 MAR AT 23:19

हमें मोहब्बत बहुत थी,
उन्हें शिकायत बहुत थी l
हमने मोहब्बत दफ़न कर दी,
उन्होंने शिकायत खत्म कर दी l

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