मे
वक्त का पहिया घूमकर,
हालात पुराने ले आता है l
कहानी,
नई लिखनी होती है l
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हमारे लिए तो इश्क ही गुनाह था,
फिर उसे दोस्ती कह देना सज़ा हो गया l-
ज़िम्मेदारियां इतनी बढ़ी के,
मन की मृत्यु हो गई l
तुम मिले जो कभी,
तो पुनर्जन्म होगा मेरा l-
मेरी रूह का तेरी यादों संग झूमना,
बस यही एक सच बाकी तो फ़साने ठहरे l
तू ठहर गया मुझमें बसंत बनकर,
बाकी सारे मौसम पुराने ठहरे l-
हमें मोहब्बत बहुत थी,
उन्हें शिकायत बहुत थी l
हमने मोहब्बत दफ़न कर दी,
उन्होंने शिकायत खत्म कर दी l-
ज़र्रा -ज़र्रा हो गए हम उन्हें बनाने में,
पूछते है वो हमसे क्या किया निभाने में l
होता अगर कुछ और तो वो भी दे देते,
अब हुए हम राख़ और हवा लगी उड़ाने में l-
मुझे कभी हालात पर हैरानी नहीं हुई,
बस इनका कोई अंत नहीं मिला l-
भीगे-भीगे ये शब्द मेरे, डूबे या तैरे फ़र्क किसे l
भावनाओं के समंदर की मैं गहराई,
और तू किनारे जैसा है l
इन उलझी-उलझी बातों के अर्थ कहाँ समझें कोईl
मैं बँधी आत्मा की डोरी से,
तू कांटे मांझे जैसा है l
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अनजाने रास्तों में
कुछ पहचाने लोग मिल जाते है l
पहचान होने पर,
फिर अनजाने बन जाते है l-
यूँ तो सीखने को सारी उम्र कम लगती है,
और कभी-कभी ज़िंदगी एक पल में,
सब कुछ सिखा देती है l-