मन के भला
निकाले कैसे,
तन्हा खुद को
जमाने मे
संभाले कैसे
दिखावे का दस्तूर
निभाए कैसे l
चीखती सांसो को
सीने मे दबाएं कैसे l-
यू तो टुकड़ो मे जीना हमें मंजूर था,
मगर मरना नहीं l
ख़्वाब अधूरा भी अपना नूर था,
मगर चकनाचूर नहीं l-
कभी-कभी सोचती हूँ
मैं जहाँ भी हूँ वही अच्छी हूँ l
तुम जहाँ भी हो वही अच्छे हो,
यू दूरियों मे भी खामोश एहसास,
जैसे भी है मगर सच्चे है l-
सिसकियाँ खामोश है क्या अब दर्द नहीं होता,
पूछती हूँ खुद से मैं,
यू मर कर जीना क्या कर्ज़ नहीं होता l-
अपने अहवाल अपनी रूह जैसे है,
बदल गया तन -मन फिर भी ये ना बदले है l-
मे
वक्त का पहिया घूमकर,
हालात पुराने ले आता है l
कहानी,
नई लिखनी होती है l
-
हमारे लिए तो इश्क ही गुनाह था,
फिर उसे दोस्ती कह देना सज़ा हो गया l-
ज़िम्मेदारियां इतनी बढ़ी के,
मन की मृत्यु हो गई l
तुम मिले जो कभी,
तो पुनर्जन्म होगा मेरा l-
मेरी रूह का तेरी यादों संग झूमना,
बस यही एक सच बाकी तो फ़साने ठहरे l
तू ठहर गया मुझमें बसंत बनकर,
बाकी सारे मौसम पुराने ठहरे l-
हमें मोहब्बत बहुत थी,
उन्हें शिकायत बहुत थी l
हमने मोहब्बत दफ़न कर दी,
उन्होंने शिकायत खत्म कर दी l-