जहां मोहब्बत हो जा के पूछो,
जिसको मिलना था!कब मिला है?
जहां भी दिल हो,उसे बता दो!
कि टूट जाना लिखा हुआ है।
जो टूट जाओ तो क्या हुआ दिल?
तू लाडला है संभाल लेंगे!
ग़म तो जन्मे है शिकवे दिल से ,
जिगर के टुकड़े है पाल लेंगे!-
तुम मुझे अपना कहो,
मुझपे अपना हक जताओ,
जैसा तुम पहले किया करते थे,
मेरे माथे को चूमकर ये कहो!
मुझे बहुत प्यार है तुमसे,
जब मैं कभी रूठ जाऊं तुमसे,
तुम आना मुझे मनाने,
बस प्यार जताना!
मैं मान जाऊंगी।।
पर तुम ऐसा कभी करते ही नहीं।
शायद!तुम्हे प्यार नहीं मुझसे,
ख्वाहिश!जाहिर करने में,
डर लगता है मुझे,
क्योंकि एक बार तुमने कहा था,
तुम्हे प्यार नहीं मुझसे!!!
-
नारी, समाज का वास्तविक अस्तित्व है!
भारत की सभी नारियों (पूजनीय माताओं) से एक निवेदन है कि अपने बच्चों को समानता (equality)का असली मतलब अवश्य समझाएं। क्योंकि एक स्वस्थ समाज के हर व्यक्ति की गरिमा से इसका गहरा संबंध है। Happy mother's day,,,🙏-
वो आई ,और तुमसे मिले बिना ही चली गई,
क्या कहोगे...
हम्म ! यही कहूंगा..
वो आशिक ही क्या,
जो माशूक के नखरे ना उठाए।।-
तुम्हे भूल जाने का,
कोई इरादा नहीं था मेरा..
पर तुम्हारी मोहब्बत,
जैसे जैसे परवान चढ़ती गई..
मेरे लिए आजाब बनती गई..
तभी लगा,
मोहब्बत हो या मौत,
पूरा इंसान तलब करती है..-
मैं तुम्हारे साथ एक लम्बी सड़क पर,
बहुत दूर तक चलना चाहती हूं..
जहां बर्फ की नरम फुहारे,
देवदार से मिलकर पिघल रही हो।।
दूर दूर तक पसरा हुआ सन्नाटा,
अपने आप में एक कहानी कह रहे हो।।
और जब हमारा सफर खतम हो,
तब तक हमने सब कुछ समेट लिया हो...-
प्यार लम्हों में बयां होता है..
हर वो लम्हा जिसमें प्यार मौजूद है..
उन लम्हों से इश्क है मुझे..-
आज फिर से तुम्हारी यादों की तरफ आया हूं..
हर रंग की फिजाओं का मौसम है यहां।।
तुम्हारी नारंगी चुनरी उड़ती हुई मेरे चेहरे से लिपट रही है..
मैं उसे हटाकर .,तुम्हें.,जी भर के देखना चाहता हूं।।
तुम्हारे सतरंगी झुमके जो तुम्हारे गालों को चूम रहे है..
उन झुमकों की कहानी मैं फिर से दोहराना चाहता हूं।।
पर!तुम्हारा वजूद मेरे लिए चमकती रेत की तरह है....-
तुम मेरे जेहन में,
इस तरह समा चुके हो,
यहां खुद में और तुम में,
फर्क मुश्किल सा लगता है।
मैं पूरी तरह से,
उसी इश्क की कैद में हूं,
जो तुम्हें मुझसे वर्षों से है।।-
मैं हर रोज पांच बजे,
खिड़की के पास आ जाया करती हूं।
मैं हर रोज अपनी जिंदगी में,
दस साल पीछे लौटने का ख्वाब देखती हूं।
जब तुम मेरी एक झलक के लिए
घंटो बाहर खड़े रहा करते थे।
और मैं हर किसी की नजर से छुपकर,
तुम्हे देखकर मुस्कुराने आ जाया करती थी।
ये बात और है कि
ना ही ये ओ खिड़की है और ना ही ये ओ सड़क...-