Pratik Nayak   (theSilentSpeaker)
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Joined 12 June 2017


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1 FEB AT 6:55

खुद को कहीं पे इतना मत समेट दो,
के तुम्हारी वजूद तुमसे दूर हो जाए,
कभी किसी से इतनी उम्मीद न कर लो,
के ज़िन्दगी ही तुमसे उम्मीद छोड़ दे,
अनगिनत चेहरों से ज़रा दायरा बना के चलो,
कहीं तुम्हारे मसलों का मज़ाक न बन जाए,
कुर्बान भी कर देना अपनी ख्वाहिशों को उसके खातिर,
मगर एक बार तुम सोच भी ज़रूर लेना,
कहीं किसी की खुदगर्ज़ी में अपनी ज़िन्दगी बर्बाद न हो जाए...

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7 DEC 2024 AT 2:51

दुनिया की रिवाज़ है ही अतरंगी,
बिन मांगे ही झोली भर देती है,
और अगले ही पल सब कुछ छीन लेती है,
आगे की सुहानी तस्वीर दिखा कर,
मिठास से भरे लफ्जों में उलझा कर,
एक अंजान राह पर भेज देती है,
शिद्दत से जिंदगी से आस लगवा कर,
आसमान से टूटते तारों से भरोसा दिलवा कर,
मंजिल से भटका कर कहीं दूर भेज देती है,
रिश्तों की जिम्मेदारियों का सीख दे कर,
दिल से सोचने की एहमियत बता कर,
जिंदगी में हारने पर मजबूर कर देती है..


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8 SEP 2024 AT 20:29

तुझे इस बात का इल्म ही नहीं,
कि तेरे खयालों में कहीं एक शख़्स महरूम तो नहीं,
हां ज़रा सा सहमा है ज़रा सा ठहरा है,
पर तेरी ही हिफाज़त के लिए घबराया है,
ज़माने से तुझे महफूज़ रखना तो उसकी ज़िम्मेदारी है ही,
पर तुझे खुद के ज़हन में समाए रखना उसकी ज़िंदगी है,
न ढूंढ तू कभी उसके अल्फाजों मैं कोई बेगैरत,
उसकी मुसीबतों की ज़रा तू भी कर ले हिफ़ाज़त,
परेशान होता ज़रुर है औरों की गन्दगी से,
पर परहेज़ नहीं रखता वो कभी तेरी मौजूदगी से.....

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22 DEC 2023 AT 4:48

तेरे नाम से चलती मेरी हर सांस,
ढूंढे तेरी मौजूदगी का एहसास,
बस काफ़ी है।
मेरे धड़कनों में बसते तेरे ही ख़याल,
इंतज़ार करते तेरी सलामती का,
बस काफ़ी है।
लफ़्ज़ मेरे बयां होते तेरे ही इश्क़ में,
फ़िक्र है तेरे से टूट न जाने का,
बस काफ़ी है।
कानों में मेरे गूंजती तेरी ही आवाज़ है,
घबराहट है कहीं खो न जाने का,
बस काफ़ी है।
मेरी नज़रों के आईने में छपी तेरी ही तस्वीर,
दिल तोड़ कर बेबसी में छोड़ ना जाए,
बस काफ़ी है।

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16 DEC 2023 AT 0:01

बेरहम सी पेश आती है ये ज़िन्दगी,
अनसुने तक़लीफें दे जाती है,
मुश्किलों के समंदर में झोंक कर,
डूबने को छोड़ जाती है,
किस्मत को बेसहारा बनाकर,
मजबूरी में ढकेल देती है,
शायद पिछले जन्मों का हिसाब लेती है ज़िन्दगी,
अनदेखे दर्द दे जाती है....

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15 DEC 2023 AT 4:22

हमने थोड़ा आराम क्या फ़रमाया,
दुनिया बेपरवाह होने लगी,
हम थोड़े शरीफ़ क्या बने,
दुनिया शराफ़त ही भूल गई

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1 DEC 2023 AT 5:34

तेरा गुस्सा भी मुझ पे ही उतरे,
तेरी नफरत भी कभी मुझे ही पुकारे,
बेचैनी में तेरे कदम मुझ तक ही पहुंचे,
परेशानी में भी तू मेरा ही हाथ पकड़े रहे,
तेरे हर हंसी का गवाह मैं ही बनूं,
तेरे हर आंसू को राहत मुझसे ही मिले,
तेरे हर बचपने को लाड़ मैं ही करूं,
तेरे हर शैतानी की पहचान मुझे ही रहे,
कोई ख़ता अगर मेरे से हुई है,
माफ़ी का हकदार भी मैं ही बनूं,
कोई लफ्ज़ अगर कड़वी लगी है,
उसमें मिठास भी मैं ही भरूं,
तेरे मोहब्बत का हिस्सा मैं ही बनूं,
तेरी ज़िंदगी में प्यार मुझमें ही सिमटे,
तेरी खूबसूरती का दीदार मेरी नजरें करें,
तेरी मासूमियत का इल्म मेरे ही दिल को रहे,
जब भी देखूं तुझे,
हर शख्स ही नासाज़ लगे,
जब भी छूं तुझे,
हर चीज़ ही नागवार लगे,
तू सहमे तो मेरे सांसों में जान है,
तेरी खैरियत से ही मेरा सुकून है,
तू है तो मेरे रूह का वजूद है,
तेरी गैर मौजूदगी में तो बस,
मेरा ये शरीर है....








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1 DEC 2023 AT 4:10

महफ़िल भी रोएगी,
हर‌ दिल भी रोएगा,
डूबेगी कश्ती मेरी,
तो साहिल भी रोएगा,
प्यार के इतने धागे पिरोए हैं,
कि मेरे मरने के बाद,
मेरा आशिक तो क्या,
मेरा क़ातिल भी रोएगा ।।

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25 AUG 2023 AT 23:40

being the optimistic one at times
makes you delve deeper,
into the tragedies and fears of others,
so as to pacify and comfort theirs,
while ignoring and kicking away your own,
so much selflessly so,
that the hurt and pain inside you
get accustomed to their existence,
moulding your soul into a statue,
of patience and numbness,
and distorting your thoughts,
into a disturbed and self-defeated being..

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25 JUL 2023 AT 4:55

dil aur dimaag mein
pal rahe kuch aise khayal,
jinse naa tum ubhaar paa rhe,
aur naa unhe bhula paa rhe,
pal pal, har roz saamne aate wo halaat,
jinhe na tum bayaan kar paa rhe,
aur na unse koi ummeed rakh pa rhe,
bechaini mei kat ta har ek lamha,
jise na tum bina ghutan k bitaa paa rhe,
aur na hi unhe andar maar paa rhe,
soch vichaar par haavi hoti ye mushkilein,
jazbaaton ko roz todte har wo sawaal,
natije k taur par reh jaati hain toh bas,
darr aur ghabrahat, jinhe
waqt aur dard k bich tum itna seh lete ho,
ki ek waqt k baad tumhe,
wo darr aur ghabrahat bhi mehsoos na ho,
chahe koi khayal ho, koi chiz ho ya koi insaan hi kyu na ho,
aur ye aakhri waqt zindagi mein koi dhundlapan nahi,
balki pura andhera hi chhod kar chala jaata hai,
jinke jawaab na kabhi mile the, aur ab na hi kabhi milenge....




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