Prashant V Shrivastava ( मुसाफ़िर )   (Prashant V Shrivastava (मुसाफ़िर ))
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Author, poet, writer, blogger, and lyricist
Joined 1 December 2018


Author, poet, writer, blogger, and lyricist
Joined 1 December 2018

मै बस आँखों में छुपा के
तेरी आरज़ू रखता हूँ
फ़िज़ा पूछती है
मै आँखों में
चाँद क्यूँ रखता हूँ

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इस पार कुछ ना था, उस पार क्या हुआ
साहिल के प्यार में, मँझधार क्या हुआ
ख़ंजर तो अब भी उसके हाथों में है
फिर मेरे सीने के आर पार क्या हुआ

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ये जो
बिना बात के, बात-बात पे
ख़फ़ा-ख़फ़ा जो रहते हो
ये अदा तुम्हारी अपनी है
या किसी और से सीखे हो

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तुमसे रिश्ता क्या,
मुझे तो तुम्हारा नाम भी पता नहीं
मगर अच्छा लगता है
जब तुम बेसबब मेरी तरफ़ देखकर
नज़र झुका के फेर लेती हो

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ऐ वतन मेरे
तेरे ध्वज तले
राहें मंज़िलें
हम बढ़े चलें
Happy Republic Day!

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धरा गगन मन हुए प्रफुल्लित,
राम उच्चारे हैं
सरयू तट पर कलियुग में
श्री राम पधारे हैं

जय श्री राम

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New Song!
Coming Soon

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मेरे नाम की भी ज़मीन होती
मेरा भी आसमाँ होता
बशर्ते
मुझे ज़िंदगी ने
जीने के लिये चुना होता

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मेरे ज़हन में आजकल
कुछ ऐसी बातें रहतीं हैं
मै जिनको ख़्वाब कहता हूँ
दुनिया पागलपन कहती हैं

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Poetry by Prashant

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