10 MAY 2018 AT 22:23

पर अगर शब्दों में ही ज़ोर न हो तो..।
तब कविताओं का कोई मतलब नहीं होता..।।

Prashant shukla

- 𝖕𝖆𝖗𝖘𝖍𝖚©