हाथों से लकीरें यही कहती है
के ज़िंदगी जो है मेरी, तुझी में अब रहती है
लबों पे लिखी है मेरे दिल की ख़्वाहिश
लफ़्ज़ों में कैसे मैं बताऊँ?
इक तुझको ही पाने की ख़ातिर
सबसे जुदा मैं हो जाऊँ
कल तक मैंने जो भी ख़्वाब थे देखे
तुझमें वो दिखने लगे
इश्क़ जो ज़रा सा था, वो बढ़ गया रे- Quote_artist_
30 SEP 2019 AT 22:14