Pranshi Gupta   (Rahasya)
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it's all about mystery
Joined 18 November 2017


it's all about mystery
Joined 18 November 2017
9 APR 2018 AT 21:52

जानते हो ना तुम हमारे इश्क़ में किसी की रज़ा नहीं,
तुम छुप कर ही मिला करो, यू खुले आम मिलने में कोई मज़ा नहीं |

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9 APR 2018 AT 21:26

WAQT part 6

ना जाने कितना दर्द दिल में मे दबाए बैठी हूँ,
मै अपने भीतर एक समंदर छुपाए बैठी हूँ,
किसी और को नहीं इस समंदर की गहराइ को अपना बनाये बैठी हूँ..

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8 APR 2018 AT 14:14

अरे ज़रा ठहरो दो पल साथ बैठो तो सही,
क्या यू नज़रे फेर के चले जाने की आदत अब भी है

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8 APR 2018 AT 13:42

WAQT part 5

वक़्त भी हमे क्या क्या करम दिखाता है
कभी इस राह तो कभी उस राह चलाता है

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8 APR 2018 AT 1:40

बाकी है....
(in caption)

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4 APR 2018 AT 1:23

बिल्ली
(read in caption)

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28 MAR 2018 AT 6:41

तब और अब मे एक फर्क साफ दिखता है,
अब सूरज पेड़ो के पीछे से नहीं इमारतों के पीछे से उगता है



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24 MAR 2018 AT 0:59


कीचड़ भरे तालाब में कुछ कमल भी तलाश लेती हूँ,
इस गंदे तालाब में मर मर के भी साँस लेती हूँ|

मेंढक इस तालाब को त्याग धरा पर भी जी जाता है,
पर मै मछली हूँ, मेरा जीवन इस जल में ही शुरू होता है, और इस जल में ही घुट घुट कर निकल जाता है|

बड़ा अंधकार छा गया तालाब में,
कुछ नज़र नहीं आता है,
जो सुन लेती हूँ किसी की आह, तो दिल घबरा सा जाता है|

हमारे बुज़ुर्ग अपने ज़माने की बातें बताते हैं,
कितना साफ था ये तालाब अब कितना गन्दा है,
उस बात पर अफसोस जताते हैं|

ईश्वर से मै बस यही प्रार्थना करती हूँ,
इस गर्त से मुझको मुक्ति दो,
क्या दोष मेरा मेरे प्रभु क्यु मै दिन दिन इस गर्त में मरती हूँ |

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22 MAR 2018 AT 15:32

सराफत उनकी बातों से छलक ही जाती है,
वो लाख कहे मोहब्बत नहीं है हम से,
मोहब्बत उनकी नज़रों में झलक ही जाती है...

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21 MAR 2018 AT 18:25

बादलों से कह दो कि आकाश की ऊंचाइयां छोड़ कर धरा पर उतर आए, समझ आजाएगा कि कितना कठिन होता है आजादी से चलना

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