जानते हो ना तुम हमारे इश्क़ में किसी की रज़ा नहीं,
तुम छुप कर ही मिला करो, यू खुले आम मिलने में कोई मज़ा नहीं |-
WAQT part 6
ना जाने कितना दर्द दिल में मे दबाए बैठी हूँ,
मै अपने भीतर एक समंदर छुपाए बैठी हूँ,
किसी और को नहीं इस समंदर की गहराइ को अपना बनाये बैठी हूँ..
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अरे ज़रा ठहरो दो पल साथ बैठो तो सही,
क्या यू नज़रे फेर के चले जाने की आदत अब भी है-
WAQT part 5
वक़्त भी हमे क्या क्या करम दिखाता है
कभी इस राह तो कभी उस राह चलाता है
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तब और अब मे एक फर्क साफ दिखता है,
अब सूरज पेड़ो के पीछे से नहीं इमारतों के पीछे से उगता है
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कीचड़ भरे तालाब में कुछ कमल भी तलाश लेती हूँ,
इस गंदे तालाब में मर मर के भी साँस लेती हूँ|
मेंढक इस तालाब को त्याग धरा पर भी जी जाता है,
पर मै मछली हूँ, मेरा जीवन इस जल में ही शुरू होता है, और इस जल में ही घुट घुट कर निकल जाता है|
बड़ा अंधकार छा गया तालाब में,
कुछ नज़र नहीं आता है,
जो सुन लेती हूँ किसी की आह, तो दिल घबरा सा जाता है|
हमारे बुज़ुर्ग अपने ज़माने की बातें बताते हैं,
कितना साफ था ये तालाब अब कितना गन्दा है,
उस बात पर अफसोस जताते हैं|
ईश्वर से मै बस यही प्रार्थना करती हूँ,
इस गर्त से मुझको मुक्ति दो,
क्या दोष मेरा मेरे प्रभु क्यु मै दिन दिन इस गर्त में मरती हूँ |
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सराफत उनकी बातों से छलक ही जाती है,
वो लाख कहे मोहब्बत नहीं है हम से,
मोहब्बत उनकी नज़रों में झलक ही जाती है...-
बादलों से कह दो कि आकाश की ऊंचाइयां छोड़ कर धरा पर उतर आए, समझ आजाएगा कि कितना कठिन होता है आजादी से चलना
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