20 MAY 2018 AT 15:52

शब्दों के कपड़ो में लपेट कर,
एक ख्वाब रखा था कहीं ।
कोई चुरा न ले जाये इसलिए,
खड़ा हूँ सदियों से,
हाथों में चिराग लिए वहीं ।

- Pranay Tiwari