शब्दों के कपड़ो में लपेट कर,एक ख्वाब रखा था कहीं ।कोई चुरा न ले जाये इसलिए,खड़ा हूँ सदियों से,हाथों में चिराग लिए वहीं । - Pranay Tiwari
शब्दों के कपड़ो में लपेट कर,एक ख्वाब रखा था कहीं ।कोई चुरा न ले जाये इसलिए,खड़ा हूँ सदियों से,हाथों में चिराग लिए वहीं ।
- Pranay Tiwari