अनजान कई बातों में,
गुमराह अपनी रातों मे,
चेहरे पर ओढ़ कर मासूमियत,
सपने हजार लिए आंखों में,
उसने कहा कि कुछ इस बार,
कुछ लिखूं मैं उसके लिए,
क्या लिखूं जो खुद बंद किताब है सबके लिए!
मायूसियत भरे कमरे की,
मुस्कुराहट वाली खिड़की है वो,
जिसकी कहानी बयां हो ही नहीं सकती,
कुछ ऐसी पागल सी लड़की है वो।
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