वो चले गए जिस आईने में खुद को निहार कर
उस आईने को रख लिया है हमने संवार कर
तीर से तीखे नयन पर, काजल उतार कर
आज फिर निकली है एक नागिन शिकार पर
तंग आकर के हकीमों ने कहा महबूब से
मलहम! काम ही करता नहीं ऐसे बीमार पर
तोड़ने को दिल मेरा ये, अब कहा से दूं तुझे
हम ही ने दफन कर दिया है इसको मार कर
ये तो नहीं मुमकिन के मुर्दे, लौट आए नींद से
पर आवाज़ में उसकी 'वज़ीर', तुम देख लेना पुकार है-
I Have seen one in myself...!!🧛🧛
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::--BHU
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Mail- wazeerkr... read more
शराब पीकर ही पता चलता है
शराब क्यों नहीं पीनी चाहिए
एक बार ही सही मगर आपको
जिंदगी ऐसे भी जीनी चाहिए
जाम को हराम कहने वालों की
सबसे पहले जबान सीनी चाहिए
सच है, मीठे से नशा बढ़ जाता है गर
अबसे हमें बोतल के साथ चीनी चाहिए
लानत है महफिल में ऐसे लोगों पर
लड़खड़ाने से पहले कह देते हैं, जी नहीं चाहिए-
इश्क, मोहब्बत, दोस्ती, कहो ना कुछ नहीं
तू न चाहे तो मेरा ख़्वाब संजोना कुछ नहीं
सिरहन भी न हो तुझे हिज़्र सुनकर तो फिर
अब तेरे चले ही जाने से सलोना कुछ नहीं
दिलों से खेलने वालों से पूछो, बताएंगे
जज्बातों के आगे कोई खिलौना कुछ नहीं
तेरी तस्वीर तो रख लेंगे संभालकर मगर
मेरी तकदीर का पता है मुझे, होना कुछ नहीं-
तुझे नहीं मालूम मगर तुझे चाहने वाले,
तेरी आवाज़ न सुने किसी दिन तो होश में ना आएं-
मैं कह रहा हूं जो, बात आखिरी हो
हो सकता है ये रात आखिरी हो
मिलने आओ तो यूं मिलना मुझसे
क्या पता के मुलाकात आखिरी हो
यूंह भी नहीं छोड़ता मैं साथ किसी का
कहीं मेरा साथ ही न उसके साथ आखिरी हो-
कितना अजीब है न,
किसी का घर उजाड़ कर
अपना घर सजाना..
शायद तभी ईश्वर ने उन्हें
जल्दी घर बनाने का हुनर दिया है।
और कभी कभी तो
समझ ही नहीं आता,
चूहे मेरा झूठा खा रहें हैं
या मैं उनका झूठा ।
खैर! यूं तो झूठा खाने से
प्यार बढ़ता ही है,
लेकिन फिर भी
कभी कभी डर लगता है
कहीं ये प्यार... प्लेग में न बदल जाए ।-
कल
सफाई करते वक्त
मेरे कमरे से बीड़ी का एक बंडल,
और कई अधूरे सुलगे हुए
तेंदू के पत्ते निकले ।
जिसे देखकर,
सफाई करने आया छोटू
हल्का सा मुस्कुरा दिया और
अपनी जेब में रखी
गोल्डफ्लैग की डिबिया को
इस तरह एडजस्ट करने लगा की
मुझे साफ नज़र आ सके ।
लेकिन!
इससे पहले की वो
रसोई से रूबरू होता,
और उसकी वो मुस्कुराहट और
गोल्डफ्लेग का बजट डगमगाता,
मैं रसोई की खिड़की से
खाली हो चुकी
पथरी निकालने में
काम आने वाली दवाई की
सारी शीशियां फैंक चुका था ।-
कौन है?
कहां से है?
क्या करती है?
नहीं मालूम,
मालूम है तो बस ये की
क्यों किसी स्त्री की मधुर आवाज़ को
कोयल की राग से जोड़ा जाता है,
ये मैने उसकी आवाज़ सुनकर जाना ।।
जीवन में चल रही महाभारत से
उसकी आवाज़ पर पड़ने वाली शिकन को
अगर मैं लिखने बैठूं,
तो शायद एक और उपन्यास
लिखा जा सकता है ।
उसकी आवाज़ अगर
समंदर में गिरी वो बूंद होती,
जिसे ढूंढ पाना
दुनिया नामुमकिन बताती है तो भी...
तो भी
मैं उस समंदर की गहराई के
उस शोर से
वो आवाज़ ढूंढ लाता...-
वो मुझे कहानियां सुना रही थी
कहानियां!
उन किताबों से ढूंढ-ढूंढकर
जो मैं बहुत पहले पढ़ चुका था ।
उसकी सुनाई
हर कहानी की कहानी
हुबहू वैसी ही होती थी,
बस कुछ किरदार
और उनके नाम
बदल जाया करते थे।
वो खुद को नायिका समझती थी,
तभी तो
हर कहानी की नायिका का नाम
उसके नाम से बदल जाया करता था,
और नायक का नाम
मेरे नाम से ।
ये जानते हुवे भी की
कहानी का अंत क्या होगा,
मैं उसके कहानी खत्म करने तक
बहोत...
बहोत गौर से उसको सुनता था,
और फिर
नायक और नायिका के बिछड़ने पर,
सहमते हुवे उसे देखता था
और बिलख पड़ता था ।-