जिस कमीशन की अबतक लोगों ने 'रेल बना देनी' थी,
लोग उस पर रील बना के खुश हो गए...!!-
I Have seen one in myself...!!🧛🧛
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::--BHU
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Mail- wazeerkr... read more
तुझपे जो नज़र उठी, उठेगी आखिरी ही बार
हर शहीद की कसम नज़र वो लायेंगे उतार..!!
Happy Independence Day 🇮🇳-
इक चोर ने है तय किया, गहरा विचार कर
न्याय की मूरत से रख दो, पट्टी उतार कर ।
देखने दो अब उसे बिकते हुए कानून को
न्याय को उतरे सड़क पर, बह चुके उस खून को ।।
भर दो ज़हर इनकी रगों में, आपसी में लड़ मरे
आवाज़ कोई गर उठे, पीछे लगा दो कठघरे ।
खींच लो इनकी ज़बाने, हाथ से कागज कलम
फिर भी अगर चीखे कोई, तो हो सीधा सर कलम ।।
बिक रहे थे, लोग तो, रोज़ इस परिधान में
पर बिक गई है रीड मत आयोग की मतदान में ।
आपसे था, चोर को, लेकर के जनता का सवाल
आपने ये कह दिया, दिल्ली से दो कुत्ते निकाल ।।
है नहीं मालूम किसको, क्या हुआ दरबार में
कुछ चोर हैं, हैं कुछ लुटेरे, हां, इसी सरकार में ।
देखना, आने नहीं पाए खबर अखबार में
चुनवा दिए जाएंगे वरना आप भी दीवार में ।।-
देखना, आने नहीं पाए खबर अखबार में
कुत्तों ने भर दिया है भय, दिल्ली की इस सरकार में-
हुस्न-ए-यार को बयां कर सके तराने ऐसे
अभी लिखे ही नहीं गए हैं, फसाने ऐसे
मैं जिस ओर भी करवट लेता हूं, नज़र आती है
तेरी तस्वीरें रखी है मैने सिरहाने ऐसे
सुकून रहता है, यही कहीं गली में तेरी
वरना, बहुत हैं यूं तो शहर में मयखाने ऐसे
इक बार देखा, फिर पलटकर देखा ही नहीं
कितनों को लगाया है तूने ठिकाने ऐसे
तुझपे आकर खत्म हो गई है दास्तान एक
दिल लगाया ही नहीं हमनें फिर पुराने जैसे-
मधु, सुधा, सबा, सना...
तुमने, हर बार स्वयं को
उपन्यास की किसी
नायिका के नाम पर प्रस्तुत किया हैं,
इतना उलझा दिया है तुमने मुझको
के अब याद भी नहीं के
पहली दफा
मैं तुम्हारे किस नाम से रूबरू हुआ था।
खैर!
तुम्हें चाहने वाले
अक्सर तुम्हें तलाशते हुए
आते हैं मेरे पास,
इस उम्मीद में कि
ये परवाना उन्हें
शमा की कोई खबर दे सके, मगर
मगर!
कौन समझाए अब इनको,
की तू वो चांद है,
जो अपनी मर्ज़ी से ढलता है
निकलता है ।
तुझे क्या खबर
के तुझे छूकर फिर,
ये परवाना जीता है के मरता है...-
शुक्र है मेरे हाथों में हथियार नहीं
मैं विचारों पर अमल करता हूं, विचार नहीं-
हवा के रुख को बेरुखी समझकर
आदमी परेशान है ज़िंदगी समझकर ।
खुशी से मर गए कुछ लोग इधर
लोग रोने लगे खुदकुशी समझकर ।।-