Rise again
Smile bright
Hope will guide
Dark turns light
Dream new dreams
Walk each mile
Fall and learn
Stand and smile-
ढलती साँसें, तन्हा रातें,
बिन बोले कहती दिल की बातें।
भीड़ में भी सूनापन है,
हर चेहरे में अब अजनबीपन है।
दीवारें तक रोती हैं चुपचाप,
मन ढूँढे अपना वो खास।
दस्तक कोई अब आती नहीं,
आशा की किरण जगाती नहीं।
जो साथ थे, वो दूर हुए,
सपनों के रंग भी धुंधले हुए।
अब साँसें भी कहने लगीं,
अकेलापन ही किस्मत बनी।-
दिल न दुखा
जो भी कहा, मोहब्बत में कहा,
तेरे लिए ही हर जज़्बा लिखा।
गर कहीं भूल हो गई मुझसे,
माफ़ कर देना दिल की सादगी से।
तेरे बिना हर लम्हा अधूरा लगे,
हँसी भी अब तो मजबूरी लगे।
तेरी यादें हर साँस में बहें,
ख़्वाब बन के पलकों पे रहें।
रिश्ता ये बस यूँ ही बना रहे,
हर तूफ़ां से ये बचा रहे।
थोड़ा समझना, थोड़ा निभाना,
प्यार को हर रोज़ नया सा बनाना।-
दिल में जगेगा एक हुनर धीरे-धीरे।
हर ज़ख्म बन जाएगा सफ़र धीरे-धीरे,
उलझनें भी होंगी बेअसर धीरे-धीरे।-
बे-असर दुआ
बड़ी उम्मीदों से हमने हाथ था उठाया,
कई रात सिसकियों संग खुदा को पुकारा।
हर आँसू में छुपी थी एक टूटती आरज़ू,
पर न जाने क्यों, वो सुन न सका इशारा।
(अनुशीर्षक में पढ़ें)-
नज़ाकत है जैसे गुलाबों की नमी,
हर अंदाज़ में बस सांसें हैं थमी।
चलती है वो तो हवा भी थम जाए,
हर अदा में उसकी मोहब्बत नज़र आए।-
कि हर शाम ढलती है किसी इंतज़ार में,
कुछ ख़्वाब टूटते हैं चुपचाप हर बार में।
हवा भी पूछती है पेड़ों से दास्तां,
क्यों चुप रहती है हर आहट के बीच यहाँ।
चाँदनी भी अब सवाल करने लगी है,
क्यों हर रात अधूरी-सी लगने लगी है।
राहें भी बदलती हैं खामोशी के संग,
दिल के जख़्म बुनते हैं तन्हा कोई रंग।
सवेरा भी सोच में है, उजाला क्यों कम है,
क्या कहीं कोई ख्वाब फिर टूटा, आँखें नम हैं।
हम भी तो चलते हैं हर रोशनी के साथ,
पर अंधेरों में मिलते हैं अपने ही जज़्बात।
कभी वक़्त से, कभी खुद से सवाल करते हैं,
और फिर भी मुस्कुराकर जवाब ढूंढते हैं।-
जब दिल की दीवारें चुपचाप ढह जाएँ,
बंद पलकों में उसकी छवि रह जाए।
जब नाम अधूरा हो, फिर भी सब कुछ कह जाए,
हर खामोशी उसकी बातों से भर जाए।
जब सन्नाटा उसकी आवाज़ जैसा लगे,
और तन्हाई में उसी की याद जागे।
जब लब चुप हों, पर रूह पुकारे,
हर धड़कन बस उसी का नाम दोहराए।
जब उसकी मुस्कान सुकून बन जाए,
और हर दर्द उसकी यादों में बह जाए।
जब हर मोड़ पर वही चेहरा दिखे,
हर दुआ में वही नाम चुपचाप लिखें।
तब चाह कर भी कुछ न कह पाओगे,
ख़ुद से भी नज़रे न मिला पाओगे...
क्योंकि ये मोहब्बत है,
जो एक बार छू ले, तो रोक न पाओगे ख़ुद को।-
अगर मुमकिन नहीं होता
हर जख़्म को मिटा पाना,
तो कम से कम सीख लेते
उन्हीं में मुस्कुराना।
अगर मुमकिन नहीं होता
हर ख्वाब को हकीकत बनाना,
तो क्यों न कुछ टूटे सपनों से
नई राह बनाना।
अगर मुमकिन नहीं होता
हर रिश्ते को निभा पाना,
तो चुपचाप विदा देकर भी
इंसानियत निभाना।
अगर मुमकिन नहीं होता
हर मोड़ पर साथ चलना,
तो यादों में ही सही,
कभी-कभी लौट आना।-