ᗩ.K. Mirzapuri   (©A.K.Mirzapuri)
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Joined 1 October 2020


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22 APR AT 13:34

कलम के ये मोती ख्वाबों के पन्ने।
कविता है कहती लिखो कुछ नगीने।।१।।

कलम के सहारे कहो कुछ तुम प्यारे।
तुम हो जाओ मेरे या हम हों तुम्हारे।।२।।

सांसें हैं मेरी ये तुम बिन अधूरी।
कविता हो कैसे कलम बिन पूरी।।३।।

ये नदियां ये झरने और प्रियतम से नाता।
कैसे बयां हों बिन कलम और कविता का।।४।।

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22 APR AT 10:03

तुम देख लो इश्क़ मेरा बस एक नजर,जाने कैसे ये रैन रहा हूं...!
बेसुध हो जाता हूँ तुम्हें ख्यालों में पाकर,जाने कब से बेचैन रहा हूं...!!

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12 APR AT 10:44

एक उम्र खोई है मैनें मुस्कुराने में,
फिर नहीं लौटना उस बेदर्द जमानें में;
रास आ रहा है अब ये नव क़िरदार अपना,
हो रही हैं कर्ज़दार सांसें अब ख़ुद को बनाने में...!!

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9 APR AT 8:11

......

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31 MAR AT 8:12

हम अपने इन आँखों में इश्क की नादानियों को छुपाये रखेंगें,
जो हैं दक्ष दुनिया को पढ़ने में यकीं करो प्रियतम उन्हें भी हम उलझाये रखेंगें;
इश्क की दास्तां बस हम तक ही सीमित रहेगी,
गर तुम भी कर दो इशारों में बयां तो तुम्हें इन नजरों में बसाये रखेंगें...!!

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30 MAR AT 22:00

ना जाने उन्हें कैसे आ जाते हैं अनेकों ख़्वाब,
मुझे एक उनके सिवा कुछ रास नहीं आता...!!

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30 MAR AT 13:19

इश्क और अश्क, ना जाने कब एक हुए...
जो थे इश्क-ए-सुकूँ,वो अब अश्क-ए-अतिरेक हुए...!!

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29 MAR AT 6:49

क्यों करें अधूरे इश्क की दवा हम, दर्द ही अब अच्छा लगता है;
जर्रे जर्रे में बिखरे हैं कुछ इस तरह,कि हर फरेबी भी अब सच्चा लगता है...!!

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28 MAR AT 21:06

इश्क अदावत नज़ाकत और बदमाशी,अब सब फीके हैं;
जिम्मेदारियों से पड़ा है पाला जब से,हम सादगी में जीते हैं...!!

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28 MAR AT 8:51

गिर रहे हैं पत्ते शाखों से और टूट रहे हैं नाते नातों से;
वक्त करा रहा है परिचय इस दुनिया से तो हो रहा है प्रेम अब श्मशानी राखों से...!!

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