19 NOV 2017 AT 22:24

स्कूल के गुज़रे दिन भी सुहाने थे |
दोस्ती से बढ़कर, वो रिश्ते पुराने थे |
बेखबर थे तब, के यु डराती है ज़िन्दगी |
अपनो से ही अपनों को लड़ाती है ज़िन्दगी |
याद है वो दिन,
स्कूल खत्म होने की सब खुशियां मना रहे थे|
क्या पता था तब,
कोई हमेशा के लिए रूठ रहा था |
कुछ हमेशा के लिए छूट रहा था |
वो बचपन था मेरा |
वो दिन भी कितने सुहाने थे,
आज जो हकीकत पर भी शक़ करते है हम,
कल तक जादु के भी दीवाने थे |

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