PALLAVI KC   (Pal_k_c)
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Joined 26 June 2018


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13 JAN AT 15:15

हर बार जो जिंदगी हमे परोसे वो सही हो जरूरी नहीं,
जरूरी ये भी तो नहीं कि जो सामने हो वो हमारा हो,
वक्त कहा किसके लिए ठहरा है
जो आज मेरे निवाले के लिए थम जाएगा,
या तो उसे किस्मत समझो या परिवर्तन,
जो भी होगा वो बेइंतहा होगा
इससे ज्यादा क्या ही हमारा होगा

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3 JAN AT 21:15

कुछ कहानी के पन्ने मेरे है
कुछ पन्ने तुम्हारे अधुरे है
कुछ यादें अभी बरकरार है
कुछ बाते अभी बाकी है
आँसू मेरे है और सिफारिश तुम्हारी
अर्जी मेरी है और रज़ामंदी तुम्हारी
शिकायतें मेरी है और फासला तुम्हारा

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1 JAN AT 22:09

बीते हर बातों को नाही मैं भूलना पसंद करुँगी
नाही उसे भुलाना चाहूँगी
ये वो वक्त है जिसने जिंदगी का तजुर्बा सिखाया
कुछ पल को बटोरकर साथ मे सवारणा सिखाया
कुछ बातों को खामोशी से पन्नों मे छुपाना सिखाया
दिन फिर अँधेरे को पीछे छोड़कर आएगा
नववर्ष मे फिर कुछ रंग घोल कर नए किस्से सुनाएगा

We are in the year to gain an extra day
365+1=Leap Year 2024

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20 DEC 2023 AT 11:32

बोलून घे जे असेल मनात
क्षणात बदलतात नाती
वेळ ही कमी पडतो जेव्हा
मनात असतात काही गाठी
विस्मरूण जगता येते आयुष्य
पन शब्द मात्र अबोल राहतात

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13 DEC 2023 AT 22:28

मी ही शून्य आणि तू ही शून्य
शून्याच्या भरारीत झोका मात्र उंच
आणि श्वास थांबला की पुन्हा शून्य
कालचक्राचा गोल ही शून्य
व्यक्तित्व मात्र एका वर शून्य (10...)

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12 DEC 2023 AT 19:29

लोभ मोह माया क्रोध अहंकार भय इनमे से
किसीने आखिरी साँस तक मेरा साथ ना छोड़ा
पर जैसे ही शैय्या पर लेटि मेरा भ्रम ही टूट गया
पिरोया था मैंने जिसे धागों मे वो छोर ही छुट गया
विश्वास किया था जिसपर वही अकेला छोड़ गया
जो अतीत था उसे आज मे शामिल किया
और कल को अँधेरे मे झोक दिया
इन सबमे अस्तित्व को ही नोछ दिया

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10 DEC 2023 AT 7:36

बदलना चाहते हो तो 'आज' को बदलों
'कल' तो अपनेआप सवर जाएगा
बदलना चाहते हो तो भीतर की 'तस्वीर' को बदलों
'आईना' अपनेआप साफ़ हो जाएगा
बदलना चाहते हो तो उस 'मोड़' को बदलों
'मंजिल' तक अपनेआप पोहोच ही जाओगे

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8 DEC 2023 AT 18:19

आयुष्यातले काही क्षण फार अल्प असतात
त्यातले काही प्रश्ण न सुटणारे असतात
आपन जस आहोत तस शेवट पर्यन्त राहण
याला कला म्हणतात, जी प्रत्येकाला अवगत नाही
शब्द मिटतात वेळ ही संपतो पन
जपलेल्या काही गोष्टी तश्याच राहतात

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10 NOV 2023 AT 15:04

मैं मुसाफिरों की तरह अंधेरे में ढूंँढती और खूद से झुंझती,
तलाश उस राह की जो मेरे भीतर के पहेली मे डूबती
ना मंजिल मुझसे अलग है ना मैं मंजिल से
फर्क़ सिर्फ इतना है कि मैं, उसके जितनी करीब हूँ,
वो मुझसे उतने ही फासले मे रहती है
मैं मुझमे गूँजती एक पहेली हूँ,
वक्त की आगोश मे ही सही
मैं खुद के भीतर एक कहानी हूँ

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5 MAY 2023 AT 15:38

Assume dessert is full of happiness
Once you feel hotness of the sand
the more you prepared to absorb the pain
You move a step forward,
you start preparing for another step
The time in between two steps
is relaxation of few seconds and it makes you more strong to move forward
Smile without harshness is journey

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