दरिया में जब डूबते सूरज की शुजाएं पड़ी थी,
लहरों की बाहों में एक रंग मिला था..
पंछियों की आहट में दिन ढल रहा था,
मैंने किनारे पे कोई आवाज़ सुनी थी..
मुड़ के देखा भी था
कहीं कोई चेहरा नजर आए,
कोई आवाज़ दे मुझे भी,
कहीं कोई गले लगाए,
मगर, हवाओं की बातें सुनकर लगता है,
अब कोई नही पुकारेगा..
आवाज़ों के बादल अब चले गए हैं,
बेचैनी का चांद फलक पर आता होगा,
मैं भी अब उन यादों से संजोई बातों के,
पन्नों की मुरझाई नाव दरिया में बहा देती हूं..
ये कहकर..
के बदलने का मौसम था बदल गया।।-
Pallavi Kaushik
(pforpoet)
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Joined 20 July 2017
11 MAR 2021 AT 8:42
26 JUL 2020 AT 11:37
महीनों से लग रहे हैं लम्हे चारदीवारी के भीतर,
आब ओ हवा में अगले दिन की बेसब्री झलक रही है।-
7 FEB 2020 AT 12:06
बहुत सी खामियां हैं मुझमें अभी,
ऐ जिंदगी तू ठहर थोड़ा,
मैं पूरी हो कर आती हूं।।-
6 APR 2019 AT 19:18
I fit so perfectly into you
I don't think i was made
for anybody else.-
4 FEB 2019 AT 0:49
I'm in love with you
I know this
because
I can no longer feel my heart beat
I can only feel yours.-
16 OCT 2018 AT 13:29
Pull the sky to
your mouth
Let it absorb your grief
Let dusk plant roses
in the beds of your cheeks
Roll the moon along
the back of your neck
Become soft...-
31 AUG 2018 AT 13:07
हरी मेहंदी से रंग की इक किताब,
और उस पर धागे से लिपटी हुई वो तख्ती,
हाल-ए-दिल की निशानी है शायद...
पहला सफ़ा अब तक खाली है।-