4 MAY 2019 AT 10:35

कपि करि ह्रदय विचार,
दीन्हि मुद्रिका डारि तब।
जनु असोक अंगार दीन्ह,
हरषि उठि कर गहेउ।।

- गान्धी ओमप्रकाश