Omkar Nailwal   (I'mOK)
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मेरी कलम ने चलना सीखा है उंगलियों को मेरी थाम कर।।
Joined 25 May 2017


मेरी कलम ने चलना सीखा है उंगलियों को मेरी थाम कर।।
Joined 25 May 2017
29 JAN 2022 AT 23:17

जो आँखों में, नींदो में, सपनों में, यादों में,
दिखता है, थमता है, ओझल फिर रातों में,
चेहरा है, किसका है, है भी या भ्रम सा है,
लिख दूँ, कि भूलूं ना, अब किस्सा कलम का है।

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5 JAN 2022 AT 19:08

मैं मुश्किल में हूँ, जरा साथ दे दो।
गुमसुम, गुज़रते ईन दिनों को,
थोड़ी ही सही, कुछ बात दे दो।
ख्वाबों को हक़ीक़त करने का,
ये जो सिलसिला जारी है,
इस सिलसिले को कुछ हौंसले से भरकर,
मेरी उँगलियों में अपना, हाथ दे दो ।

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26 DEC 2021 AT 11:13

क्या कुछ तुम अजनबी एक ख़्वाब हो,
कभी कलम हो तो कभी अल्फाज़ हो,
कभी धुन हो तुम, तो कभी साज़ हो,
कभी कहानियों सी, तो कभी तुम किताब हो,
कभी खुला आसमान,तो कभी तुम राज़ हो,
कभी बादलों का पहरा हो, तो कभी बारिश की आवाज़ हो,
कभी तुम हकीकत हो, तो कभी कल्पना की आवाज़ हो,
मैंने लिखा है खुशनसीब, सच मैं हँसती हो या तुम उदास हो?

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25 DEC 2021 AT 22:19

क्या कुछ तुम अजनबी एक ख़्वाब हो,
कभी कलम हो तो कभी अल्फाज़ हो,
कभी धुन हो तुम, तो कभी साज़ हो,
कभी बादलों का पहरा हो, तो कभी बारिश की आवाज़ हो ।

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27 NOV 2021 AT 17:24

यूँ अचानक याद में हो मेरी,
इस बेचैनी की वजह क्या है,
तुम, ख़्याल सा मुख़्तसर हो मन में कहीं
अब बेवजह बिखरने को बचा क्या है,

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23 NOV 2021 AT 18:39

अस्त उम्मीदों से भी चमकने की फ़िराक़ में हूँ,
मैं मंजिलों के सैलाब में कश्ती एक ख्वाब सा हूँ ।

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21 NOV 2021 AT 20:04

A cry with no tears,
is a cry with a lot of fears...

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18 OCT 2021 AT 14:56

लोगों के मेले में चलते अकेले हम
खिलोनों की रौनक सी बातों में खोये हम,
जिंदगी के झूले में डरते पर चढ़ते हम,
आवाजों के दलदल में गुमसुम फिर खो गए हम।

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9 OCT 2021 AT 21:45

मैं फिक्र फिक्र में, बेफिक्र रहूं,
जो तुम सवाल सवाल में, जवाब दे दो।
मैं बात बात में, याद करूं,
जो तुम चलते चलते, हाथ दे दो।

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5 OCT 2021 AT 22:22

मुकाम की तलाश में,
खुश रहना मुश्किल सा है क्यूंकि
आसान भी तो नहीं है
हर रोज नयी ऊर्जा लिए एक ही काम दोहराना,

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