ना जाने अब कब कहानी बनेगी
ना जाने अब कब अफसाना बनेगा
ना जाने अब कब सुबह सुहानी बनेगी
ना जाने अब कब मुक्कदर सुहाना बनेगा— % &-
शब्दों में मेरे तुम खुद को पा लेना
जरूरत हो तो मुझको बुला लेना
याद आये यदि मेरी तुमको सनम
यादों को हमारी तुम सजा लेना-
बस ऐसे ही रहमत बनाये रखना ऐ भगवान
कल उसकी बातों में बस खुशी झलक रही थी-
गिले-शिकवे मोहब्बत में चलते रहेंगे
हम बिछड़ कर यूँही मिलते रहेंगे
हौसला काम न होगा हमारा कभी
वक्त बेवक्त मौसम बदलते रहेंगे
किस्मतो का कहर चाहे जितना भी हो
हम अंगारों की तरह सलुगते रहेंगे-
तुझे देखकर जो ना लिख सकू शायरी मैं
तो ये कमाल तेरी खूबसूरती का होगा
भूल जाऊं खुद को या खो दूं होशहवास मैं
तो ये काम भी तेरी खूबसूरती का होगा
होंगे जो कत्ल भरी महफ़िल में तेरे आने से
फिर इल्जाम भी तेरी खूबसूरती पर होगा-
उससे नज़रे मिली ही थी शायद खुदखुशी के लिए
आंखे ही ना खुली मिरी आखिरी मुलाक़ात के बाद-
ना दिखाओ ये अदाएं, यूँ जुल्फे लहराकर
मेरे शहर में बादल मंडराने लगे है-
मैं आशिक भी हूँ, अंजान भी
मैं जिंदा भी हूँ, बेजान भी
ना जानने का तो बहाना है उसका
मैं उसका अपना भी हूँ, मेहमान भी
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जब रात भी न सहारा देगी
तो रोशनी क्या सवेरा देगी
जब गिर ही गई पत्तियां सारी
अब हवा क्या इशारा देगी-
एक गजब की बात है उसके चेहरे में साहब
उम्र के साथ साथ उसका नूर भी बढ़ रहा है-