Nishat Aftabi   (Nishat Aftabi)
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Musafir hoon mai,
Manzil ka bas!
Jo manzil mil jaye,
To kis baat ka musafir! ©
Joined 31 August 2019


Musafir hoon mai,
Manzil ka bas!
Jo manzil mil jaye,
To kis baat ka musafir! ©
Joined 31 August 2019
16 MAY AT 12:52

आखीर कुछ होता है क्या?
सब्र से कुछ मिलता है क्या,
सब्र रखना फिर मुश्किल क्यों?
अगर कुछ मिलता है,
फिर इतना अशांत मन क्यों?
और अगर सब्र टूट जाये,
फीर क्या होता है?

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16 MAY AT 12:49

Starting the draft of a book seems to be difficult,
But starting life and moving as life goes is damn easy!
Why? Look at yourselves!
You are born, you grow up,
And now engrossed in your own worlds!
Penning the story present in your mind,
Is superficially doubtful!

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2 MAY AT 1:09

प्यार का मौसम,
रहता है हमेशा!
पर प्यार जताना अगर छोर दोगे,
तो कैसे चलेगा?
प्यार का होना ही काफी नही,
उसे जताना भी पड़ता है!
उससे प्यार बढ़ता है,
और गलत फहमी कम होती है!

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1 MAY AT 23:54

ज़िन्दगी ने सिखाया,
एक पाठ ऐसा भी,
के जब जब तुम्हारे पलकें भारी होंगे,
शायद ही कोई खड़ा होगा साथ तुम्हारे!
पर जब जब मुस्कुराओगे,
एक महफ़िल घूमेगा साथ तुम्हारे!

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1 MAY AT 23:46

कोई तरीका तो होगा,
जिससे सब कुछ सही होगा!
कोई तरीका,
हमारे अस्तित्व को महसूस करवाएगा!
पर उससे पेहले,
वो तरीका हमे आज़मायेगा ज़रूर!

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1 MAY AT 23:41

एक कविता लिखी थी कभी!
सोचा था पढ़ के सुनाएंगे,
पर शायद किस्मत को ये मंज़ूर नही था!
इसीलिए कर दिया कुछ ऐसा,
के तुम और मैं चाह कर भी मिल नही सकते!

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1 MAY AT 23:08

कुछ गहराइयाँ समुंदर मैं है,
कुछ दर्द पहाड़ो ने समेट लिया है!
कुछ ख्वाइशें दफन है दिलों में,
कुछ बिन मांगी दुआएं नज़र के सामने है!
कभी आहटें दिल को शांत करती,
और कभी ये सन्नाटें दिल को देहला देती!
कभी यूँही आंख भर आते,
और कभी मिन्नतों से भी नही आते!
कभी ये अकेलापन खौफ ढाती,
तो कभी हज़ारों के बीच मे अकेले होना!
यहां हर चीज़ के दो पहलू है,
जैसे एक सिक्के की!

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1 MAY AT 22:44

वक़्त से भला कौन जीत पाया है?
वक़्त ने तो हर किसीको कभी ना कभी हराया है!
ये वही वक़्त है,
जो बुरे समय मे चलता ही नही,
और खुशियों मैं पंख लगाकर उड़ जाता है!

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25 APR AT 13:01

कभी कभी एक मुलाक़ात बोहोत होती है,
और कभी कभी सॉ मुलाक़ातें भी काफी नही!
कभी कभी दो अल्फ़ाज़ अपना बनाने के लिए काफी है,
तो कभी कभी एक पूरा अनुच्छेद कम हो जाता है!
कभी कभी सिर्फ आंसू काफी होते है,
तो कभी कभी सिसकती हुई अल्फ़ाज़ भी पर्याप्त नही!
क्या काफी है और क्या नही,
ये तो सिर्फ वक़्त तय कर सकता है!
कभी कभी जो हमे चाहिए सब से ज़्यादा,
वही कभी मुफ्त में मिल जाये तो भी नही भाता!

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25 APR AT 12:50

পাহাড় শেখায় দাঁড়িয়ে থাকতে,
সব বাধা বিপত্তি পেরিয়েও,
ঠাঁই একই ভাবে দাঁড়িয়ে থাকতে!
শত কষ্ট মনের মধ্যে দাবিয়ে,
সবাই কে দেখানো,
তাকে বিপর্যস্ত করতে পারেনা কোন কষ্ট!
পাহাড় এও শেখায়,
কারুর জন্য কিছু থেমে থাকে না,
সবাই ঠিক পেরিয়ে চলে যায়,
কেউ কষ্ট ভাগ করে থেকে যায় না,
আবার কেউ,
নিজের কষ্ট পাহাড়ের বুকে একে যায়!
কেউ থাকে না পাশে,
সবাই বলে কত বৃহৎ এই পাহাড়,
কিন্তু কেউ তার পেছনের কষ্ট গুলো দেখে না!

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