गुमाँ होता है पीछे बहुत कुछ छूट गया है
शायद माटी का बना था रिश्ता
जो गिर के टूट गया है
निशा टंडन
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वक्त ने लिए हैं इम्तिहान हर मोड़ पर ज़िंदगी के
पर ख़ुद पर यकीं था कि हर फ़ैसला सही होगा
बिछड़ गए हैं वो जो कभी हुआ करते थे हमसफ़र
पर ये भी इल्म था हमें कि ये सफ़र आसाँ तो नहीं होगा
निशा टंडन-
ज़ुबा खामोश रही आँखों ने सब बयाँ कर दिया
तुम्हारी बेरुख़ी ने अश्कों में मेरे सावन भर दिया
एक उम्मीद की लौ हम दामन में जलाए बैठे रहे
मगर तुमने तो हमें सरेआम ही बेआबरू कर दिया
निशा टंडन-
ज़िंदगी , हर कदम पर एक इम्तिहान है
आँसुओं का सैलाब हो तो बहुत मुश्किल
और थोड़ा सा मुस्कुरा दो तो आसान है
निशा टंडन-
तुझसे मुलाकात के लिए
तू आ तो सही
बुझा देंगे हर चिराग
कुछ लम्हात के लिए
निशा टंडन-
फ़लक छूने की चाहत दिल में लिए परिंदा हूँ मैं
पंख कट गए हैं मेरे देखो फिर भी ज़िंदा हूँ मैं
निशा टंडन-
Let me whisper
Sweet nothings to you
And take you
Into the loving arms
Of your beloved-
तन्हाई के चंद लम्हे अक्सर
उदासी का सबब बनते हैं
डगमगाने लगते हैं जो कदम
कहाँ फिर वो संभलते हैं
निशा टंडन-
हर ज़ख़्म पर मेरे
तूने यूँ मरहम लगा दिया
शिकायतों का सिलसिला
हमने सीने में दबा दिया
निशा टंडन-
गुज़रे वक़्त की यादें
कुछ ऐसे दफ़्न हैं यहाँ
ज़रा सी आहट होती है तो
दरख़्त सिसकने लगते हैं
निशा टंडन-