लगता है वक्त भी कुछ ख़फ़ा है हमसे
तेरे बिन ये कमबख़्त गुज़रता ही नहीं
तेरे इंतज़ार में कितने सावन पतझड़ हो गए
पर तेरा ख़ुमार है कि जैसे उतरता ही नहीं
निशा टंडन-
उम्र हमारी गुज़री है इंतज़ार में तेरे
पर सवाल लोगों की नज़रों में हैं
लबों पर आया नहीं कभी नाम तेरा
फिर भी तेरा ज़िक्र सरेआम ख़बरों में है
निशा टंडन-
मैं कोई कहानी नहीं हकीकत थी तेरी
यूँ ही कैसे तूने मुझे ख़ुद से जुदा कर दिया
समझा नहीं मुझे एक नज़र के काबिल भी
और मैंने तुझे फलक पे बैठा खुदा कर दिया
निशा टंडन-
तूने तो फेर ली नज़र
किसी अजनबी की तरह
फिर भी मेरी हर राह
तेरे दर पर आकर रुक गई
हो गया ज़रूरी
तू इस क़दर मेरे लिए
कि रब को भुला नज़रें अब
तेरे सजदे में झुक गई
निशा टंडन-
तू नहीं तो आज आँख नम हैं ज़रा
वो वक़्त बेवक़्त तेरा ख्याल करती हैं
छुपाये बैठें हैं तूफ़ान इन अश्कों में हम
फिर भी वफ़ा पर हमारी दुनिया स्वाल करती है
निशा टंडन-
रहना है मुझे बस तेरा बन के
तेरे माथे की शिकन कभी
तो कभी हाथों की लकीरें बन के
भटकती हुई रूह कभी
तो कभी मोम सा जिसम बन के
रहना है मुझे बस तेरा बन के
दिल में बसी धड़कन कभी
तो कभी बावरा सा मन बन के
रहना है मुझे बस तेरा
बस तेरा बन के
निशा टंडन-
हर रिश्ते का नाम हो
ये ज़रूरी तो नहीं
तोड़ कर बंदिशें निभाओ उसे
दिल की मजबूरी ही सही
गर वो हो जाए रुख़्सत
तो यादों में समेट लेना उसको
जीना सीख लेना बिन उसके
फिर चाहे ज़िंदगी अधूरी ही सही
निशा टंडन-
किया था वादा
साथ तुम ताउम्र निभाओगे
कहते थे हर मोड़ पे
मुझे ही खड़ा पाओगे
चले जाने से तुम्हारे
ज़िन्दगी में कुछ कमी सी है
मंजिलों का नामोनिशां नहीं
राहें भी अब अधूरी सी हैं
निशा टंडन-
ख़फ़ा हो तुम हमसे
कि हम तुम्हें याद नहीं करते
बस इतना जुर्म है हमारा कि तुम्हारी बात
हम सरेआम नहीं करते
निशा टंडन-
कि तुझे भूल
जाएँगे हम
कहाँ इल्म था हमें
कि ज़िंदगी
तुझ से ही तो शुरू
और तुझ पर ही ख़त्म
निशा टंडन-