25 FEB 2018 AT 22:11

सुबह दिन शाम , कुछ समझ नहीं आता
क्या करता हूं, कहां खो जाता हूं।
बस रात को इतना सुकून है
में जानता तो हूं, कि सो जाता हूं।

- Shayad