हर मोड़ रास्तों में बराबर से काटानहीं कहीं ज्यादा नहीं कहीं थोड़ाआबरू ज़ीस्त में कुछ और ही होती परमेरे लोगों ने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा -
हर मोड़ रास्तों में बराबर से काटानहीं कहीं ज्यादा नहीं कहीं थोड़ाआबरू ज़ीस्त में कुछ और ही होती परमेरे लोगों ने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा
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हुजरे में मेरे दिल केयूँ सुकून कर दिया जाएमेरी तमन्ना ये है कीमेरा खून कर दिया जाए -
हुजरे में मेरे दिल केयूँ सुकून कर दिया जाएमेरी तमन्ना ये है कीमेरा खून कर दिया जाए
मिट्टी भी रंगीन - रंगीन सी हैरंग लाल या हरा, पता नहींयादों की ज़मीन में दफ़न हूँ मैंजिंदा या मरा, पता नहींअफ़साना ये भी मेरा ही हैझूठा या खरा, पता नहींखड़ा था तो सही अपने पास मैंसहमा या डरा, पता नहींदरिया लाये थे वो मेरे लिएखाली या भरा, पता नहींकूदा मैं भी यहीं पर थाडूबा या तरा, पता नहींरोये वो भी थे तो सहीखूब या ज़रा, पता नहींयादों की ज़मीन में दफ़न हूँ मैंजिंदा या मरा, पता नहीं -
मिट्टी भी रंगीन - रंगीन सी हैरंग लाल या हरा, पता नहींयादों की ज़मीन में दफ़न हूँ मैंजिंदा या मरा, पता नहींअफ़साना ये भी मेरा ही हैझूठा या खरा, पता नहींखड़ा था तो सही अपने पास मैंसहमा या डरा, पता नहींदरिया लाये थे वो मेरे लिएखाली या भरा, पता नहींकूदा मैं भी यहीं पर थाडूबा या तरा, पता नहींरोये वो भी थे तो सहीखूब या ज़रा, पता नहींयादों की ज़मीन में दफ़न हूँ मैंजिंदा या मरा, पता नहीं
इस तरह रवैया मेरा बद से बद्तर होता गयाजो भी मिलता रहा मुझेएक-एक सब खोता गया -
इस तरह रवैया मेरा बद से बद्तर होता गयाजो भी मिलता रहा मुझेएक-एक सब खोता गया
यूँ तिनकों की मुराद पर गौर कौन करेगागर मैं ख़ामोश रहा तो शोर कौन करेगा -
यूँ तिनकों की मुराद पर गौर कौन करेगागर मैं ख़ामोश रहा तो शोर कौन करेगा
बहुत दिनों से कोई ख़्वाब नहीं देखा, सपने सब "सच" हो गए क्या? -
बहुत दिनों से कोई ख़्वाब नहीं देखा, सपने सब "सच" हो गए क्या?
हुजरे में उस शराबी केऐसे ज़बान तर दी जातीजब भी दिल भरा होताबोतल खाली कर दी जाती -
हुजरे में उस शराबी केऐसे ज़बान तर दी जातीजब भी दिल भरा होताबोतल खाली कर दी जाती
आसमां है की ख़ामोश है, क्षितिज भी ठेहरा मौन! समय बैठ कर पूछ रहा, "मैं" नहीं तो और कौन? -
आसमां है की ख़ामोश है, क्षितिज भी ठेहरा मौन! समय बैठ कर पूछ रहा, "मैं" नहीं तो और कौन?
कुछ खास भी इतना हुआ न थावो खेल तो था पर जुआ न था -
कुछ खास भी इतना हुआ न थावो खेल तो था पर जुआ न था
हक़ीकत का क्या करूँ मैं, मुझसे बस जज़्बातों की बातें कीजिये। -
हक़ीकत का क्या करूँ मैं, मुझसे बस जज़्बातों की बातें कीजिये।