Nikunj Pathak   (Nikunj pathak)
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Writer
Poet
Musician
Composer
7742680383(watsapp)
Joined 23 September 2017


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Joined 23 September 2017
20 APR 2021 AT 18:15

हर मोड़ रास्तों में बराबर से काटा
नहीं कहीं ज्यादा नहीं कहीं थोड़ा
आबरू ज़ीस्त में कुछ और ही होती पर
मेरे लोगों ने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा

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28 FEB 2021 AT 21:16

हुजरे में मेरे दिल के
यूँ सुकून कर दिया जाए
मेरी तमन्ना ये है की
मेरा खून कर दिया जाए

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12 NOV 2020 AT 21:15

मिट्टी भी रंगीन - रंगीन सी है
रंग लाल या हरा, पता नहीं
यादों की ज़मीन में दफ़न हूँ मैं
जिंदा या मरा, पता नहीं

अफ़साना ये भी मेरा ही है
झूठा या खरा, पता नहीं
खड़ा था तो सही अपने पास मैं
सहमा या डरा, पता नहीं

दरिया लाये थे वो मेरे लिए
खाली या भरा, पता नहीं
कूदा मैं भी यहीं पर था
डूबा या तरा, पता नहीं

रोये वो भी थे तो सही
खूब या ज़रा, पता नहीं
यादों की ज़मीन में दफ़न हूँ मैं
जिंदा या मरा, पता नहीं

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11 NOV 2020 AT 14:50

इस तरह रवैया मेरा
बद से बद्तर होता गया
जो भी मिलता रहा मुझे
एक-एक सब खोता गया

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5 NOV 2020 AT 23:51

यूँ तिनकों की मुराद पर गौर कौन करेगा
गर मैं ख़ामोश रहा तो शोर कौन करेगा

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1 NOV 2020 AT 15:38

बहुत दिनों से कोई ख़्वाब नहीं देखा,
सपने सब "सच" हो गए क्या?

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15 OCT 2020 AT 8:39

हुजरे में उस शराबी के
ऐसे ज़बान तर दी जाती
जब भी दिल भरा होता
बोतल खाली कर दी जाती

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25 SEP 2020 AT 17:58

आसमां है की ख़ामोश है,
क्षितिज भी ठेहरा मौन!
समय बैठ कर पूछ रहा,
"मैं" नहीं तो और कौन?

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16 SEP 2020 AT 14:43

कुछ खास भी इतना हुआ न था
वो खेल तो था पर जुआ न था

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13 SEP 2020 AT 8:16

हक़ीकत का क्या करूँ मैं,
मुझसे बस जज़्बातों की बातें कीजिये।

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