nikhil tiwari   (nikhil tiwari)
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Joined 2 February 2018


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Joined 2 February 2018
20 DEC 2023 AT 1:33

श्रीss, कृष्णेश्वरी राधा राधेश्वर श्याम
जगत अवतारे ,संग अनेकों नाम
मोहक ललित पुलकित मुस्कान
बिरज में आए गोकुल के श्याम
जय श्री राधे जय श्री श्याम …
कृष्ण नाम से सुशोभित श्याम
नभमंडल में गायों की तान
देव कराए पुष्प स्नान
श्रीकृष्ण प्रगटे,बन- घनश्याम
जय श्री राधे जय श्री श्याम …
माई यशोदा , के प्रिय नाम
नंद बाबा के , सफल हुए धाम
यमुना आई - पाव पखारन
दर्शन को , शिव खड़े है खाम
जय श्री राधे जय श्री श्याम …
पालकी बैठो, झूलो यही काम
मुस्काओ, ऋण हरलो श्याम
ब्रज - गलियों में राधा नाम
शीतल चंदन सम राधे श्याम (2)
जय श्री राधे जय श्री श्याम …
मनमंदिर नित दिन और शाम
राधे कृष्ण जय राधेश्वर श्याम
हम संदर्भ प्रसंग बन आप
आंख बंद कर लेते नाम
जय श्री राधे जय श्री श्याम…(2)
• प्रयाग नियुक्त •

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22 AUG 2023 AT 23:26

क्या देखूं किसे देखूं
खुदा को,भगवान को देखूं
अरघ में सूरज को क्यों देखूं ...
जब नन्हे पावों में छाले देखू

फकीर की करीबी को … या
खुदा की नजर में अमीरी देखूं
पूजा और नबी की नमाज में
एक गली में , दो अकेले त्योहार देखूं

रोटी की आस चौखट पर खड़ी देखूं
जन्नत के हिसाब या तुम्हारे जहांन को देखूं
भूख में अनाथ की टूटी आस देखूं
या मां बाप के टूटते सितारे देखू
……… क्या देखूं किसे देखूं ……
खुदा देखूं मैं भगवान देखूं …सुनो!
तुम्हारी जन्नत तुम्हारा स्वर्ग देखूं
फकीर के निवाले का सम्मान देखूं
ऐसी बेटियों परियों के संस्कार देखूं

स्वर्ग नही पिता की मुस्कान देखूं
जन्नत जहां वो मां के पैर दाब लूं
जन्नत अमीरी रुतबे से भटक
आईने में एक अच्छा इंसान देखूं ।।
•प्रयाग निरूक्त•

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8 JUL 2023 AT 1:22

बेशक किरदारों को
बेशर्त हलाल किया
जो हाल है तेरा
फिलहाल तूने ही जिया

तेरी तासीर में जख्मी जहन मेरा
चाहत के चांद को ग्रहण तेरा
इल्जाम ए इश्क है इकलौता यही
मुद्दातों तक अब न मिलना तेरा

मेरी तालीम में इश्क इकरार तेरा
मिल्कियत मुकम्मल हिजाब तेरा
एतबार वफ़ा वाकिफ हूं यही
बस ख़ाली वक्त में जाम तेरा

सलवट और सिहरन में किरदार तेरा
बेशक अनजान आवाम तेरा
आबरू में खुशबू जिस्म की वही
हौस की तलाश में जहन तेरा
• निरुक्त प्रयाग •

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26 OCT 2022 AT 17:09

मेरे हालात आज बदतर है,
क्या मेरे हुनर जवाब नहीं देते
मशगुल हो गई हो इस दुनिया में
क्या मेरे गुलाब अब कोई ख्वाब नहीं देते
• प्रयाग निरुक्त •

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14 SEP 2022 AT 11:26

बाबुल के घर से उस कुल तक
दीप प्रकाशित करती है
विपत में सबका भार घटाए
अलग न होने किसी को देती है
वो बहन हमारी होती है
खुश है हर पल और मुस्कुराती
हमारी खुशी को पिरोती है
सबका कितना ध्यान है रखती
खुदकी अर्चन पे ना कुछ कहती है

दुनिया में सूरज और चंदा
सामान्य सबको लगते है
पर अद्वितीय प्रेम के बंधन
भाई और बहन के होते है

खुशबू जग में पुष्प की यूं तो
हवा ही विसरित करती है
भाव और प्रेम से संतुष्ट हो जो
उपहार जन्म से ही कुल को देती है
वो बहन हमारी होती है
• प्रयाग निरुक्त •

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22 MAR 2022 AT 0:39

तुम मासूम अदालत में
एक गवाह ले आना
मैं चाहूंगा भले सलाखें
तुम बस वो मुस्कान ले आना

इस रात में वाजिफ
एक काबिल सवाल ले आना
क्यों जागते हो हमारे साथ
कभी हमे भी बतलाना

हम लिखते है तुमको यूं
कभी ख्वाब में न आना
मैं इतनी बात करता हूं
तुम मेरी गोद में सो जाना

दिल मिलें तब भी
इकरार न कर जाना
प्यार की खुशबू को
दिल की माटी में छुपाना

मैं चाहूंगा भले खुशबू
तुम वो मुस्कान ले आना
• प्रयाग निरूक्त •

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18 MAR 2022 AT 0:28

आज फिर श्री कृष्णा यदा
ब्रज की गलियों में आएंगे,
रास रचाने गोपियन् की
सुध बुध वही तो लाएंगे ...
रास रचाते नैनों में
राधे💞 राधे💕 छुपायेंगे,
पाकर अवसर कृष्ण यदा
श्री राधा को अबीर चढ़ायेंगे...
राधा कान्हा के गालों पर
चन्दन से हाथ लगावेंगी,
नैनों के काजल सा वो भी
कृष्ण को खुदमे रचाएंगी...
आलिंगन में दोनों जब
ह्रदयों से तृष्णा मिटायेंगे
इस चित्रण से दोनों तथा
प्रेम रस को बढायेंगे...
अगले वर्ष इस ब्रज् में
फिर से हम रंगने आएंगे
जग के कोरे नयनो में पुनः
श्री राधे कृष्ण बस जाएंगे ...राधे💞 राधे💞
• प्रयाग निरुक्त •

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12 FEB 2022 AT 15:27

तक़दीर ख्वाहिश और खुदाई,।
जैसे सिलवट ख़्वाब ने बनाई।।
ये रास्ता फ़िराक-ए-साहिल है बंदे ।
तेरी कलम से लिखेगा खुदा गवाही ।।

• प्रयाग निरुक्त •— % &

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15 JAN 2022 AT 12:53

यूं तो आशिक़ी में
अफसोस नही होता मगर,
आशिक़ी में कभी
फिर अफसोस क्यों होता है ?
• प्रयाग निरुक्त •

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25 DEC 2021 AT 23:05

ईमान ए इश्क में
रकीब की बात करूंगा
तू ईमान ए इश्क कह
मैं दिल ए नादान कहूंगा

प्रयाग निरुक्त

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