Nikhil   (NiKHiL)
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Joined 14 September 2017


Joined 14 September 2017
21 JAN 2018 AT 13:10

अगर मर्दों कि तरह उसके लिए लड़ नहीं सकते।

तो ओरतों कि तरह उसके लिए आंसू भी मत बहाओ।।

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20 JAN 2018 AT 23:41

जो मैं था ... अब वो रहा नहीं।

अब जो हु .... किसी को पता नहीं ।।

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19 NOV 2017 AT 19:39

And somewhere between them .. smile has lost ...

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20 SEP 2017 AT 11:53

आज भी जब तुम दिखती हो तो समय न जाने क्यों रुक सा जाता है।
आते-जाते जब देखता हूं तुम्हे तो ख्वाहिसो का बादल उठ सा जाता है ।
मन तो मेरा भी बहुत करता ह की तुम्हे बाहो में भर लूँ ।


पर तुम्हारी कब्र का पत्थर चुभ सा जाता है ।।

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18 SEP 2017 AT 15:38

धर्म में कोई कमी तो जरूर है यारो।

वरना दूध पत्थर की बजाए भूखे पेटों में जाता ।।

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