देश जूझ रहा है
लोगों की जान जा रही है
अपने बिछड़ रहे हैं
हस्ते खेलते परिवार उजड़ रहे हैं
सपने में भी न सोचा जो ऐसा हर जगह मंज़र है
ख्वाबों से जो सजाई थी ज़मीन वो अब बंजर है
इसलिए समझदारी दिखाएं
मास्क लगाए और बेवजह बाहर न जाएं
अपने साथ-साथ अपनों की ज़िंदगी भी बचायें।-
Write to feel ❤
IG-- @spread_happiness07
ज़िंदगी ! देख..
एक और साल जीलिया मैं
साल थोड़ा अजीब था
अपनो के करीब होके भी उनसे दूर था
पहली बार हाथ की लकीर नहीं
बल्कि वक़्त खुद फकीर था
कुदरत ने भी कमाल खेल रचा
इंसान को इंसान से ही दूर करदिया खड़ा
उम्मीद है इस साल नज़दीकियाँ बढ़ेंगी
और दुआएँ दिल से दिल तक लगेंगी।-
तारीख बदलती है वक़्त बदलता है
उम्र बढ़ती है नज़रिया बदलता है
जज़्बात बदलते है इंसान वही रहता है-
आओ दीवारों से बात करते हैं
कुछ अनकहे किस्से युहीं बयां करते हैं
छुपे हुए बैठे एक कोने में जो यादों के मंज़र हैं
आओ चाय की चुस्कियां लेते-लेते
उन्हें भी आज याद करते हैं..
..आओ दीवारों से बात करते हैं
बात करो तो ज़रा संभल के करो
सुना है कि दीवारों के भी कान होते हैं
खैर कई ज़ुबां वाले तो
खुदगर्ज़ी की मिसाल होते हैं
इसलिए बेज़ुबान बेमिसाल होते हैं..
..आओ दीवारों से बात करते हैं-
हो रही है दुनिया ठीक तो होने दो
तुम घर पे बैठके बदलाव लाओ ना
झांक कर देखो अपने अन्दर
गलत के खिलाफ आवाज़ उठाओ ना
क्यूँ होते हो परेशान आखिर क्यूँ करते हो ऐसे काम
कभी तो दिमाग से नही दिल से ज़िन्दगी को चलाओ ना
जानवर से तुलना होने पर क्यूँ बौखलाते हो
अगर हो इस लायक तो कुछ अच्छा करके दिखाओ ना
खुद के अंदर तलाशो
सोये हुए इंसान और इंसानियत को जगाओ ना-
जिम्मेदारियों ने उसकी मासूमियत को कैद करके रखा है.. वरना खुला आसमान किसे नहीं पसंद
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ज़िंदगी का मज़ा उन लम्हों में है जो अब भी राज़ हैं ना कि उन लम्हों में जो खुली किताब हैं
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मशहूर था अपनी ज़िंदगी में, लिखावट ने उसे अपना कायल बना दिया
इश्क ने उसे भी नहीं बख्शा...और शायर बना दिया-
वक़्त का मसला कुछ ऐसा रहा कि हम फायदे ढूंढ़ते रह गए और वो हमें कायदे में रहना सिखा गया
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