हमने सुलझा लिया है माँझे को,
फ़ेक दिया है कटी पतंग को।
तेज अब माँझा है, साथ में नई पतंग,
सीख लिया है डोर खुद पकड़ना ए पतंग।
कैसे काबू करना है उसे अब जान लिया है,
हवा और माँझा दोनो का खेल समझ लिया है।
कट भी गयी उंगली या फ़िर पतंग,
सीख लिया है अब रहना है दबंग।
आ जाएगी नई पतंग और माँझा,
गिरना कटना भटकना है जिंदगी का ढाँचा।
रोकना नही कतई कटी पतंग के लिए जीना,
इसी का नाम है जिंदगी जियो करके चौड़ा सीना।
पतंग तुम्हारा दिल है,
गिरने कटने बाद बदलना उसे जरूरी है।
हवा और माँझा तुम्हारे जस्बात,
उसी पे खेल चलता हर बार।
और आसमान है तुम्हारे जिंदगी की फ़िल्म,
उसे खूबसूरत बनाने का रख लो इल्म।
गिरने के बाद फिर ऊपर उठना जरूरी है,
नया दिल कैसे लाऊ इसपे ज्यादा सोचना बेवकूफ़ी है।
यही सिखाती है पतंग तम्मन्ना हर रोज,
पतंग नई हो या पुरानी दिल पे ना हो बोझ।
गिरकर उड़ना ही सिखाती है पतंग ,
आसमान में शान से उड़ना हो कर तुम मलंग,
पर्दा तब ही गिरेगा जब ठुकराओगे तुम होना दबंग।
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