Neha M. Sharma©️   (©️नेहा M.'निर्झरा')
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Joined 27 July 2019


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Joined 27 July 2019
18 APR AT 23:13

धुंधली यादों का उठाए बोझ
क्षितिज की ओर बढ़े जा रही हूँ
मैं वो हूँ जो अतीत में थी
या वो हूँ जो वर्तमान में हूँ
इसी द्वंद्व में भविष्य को
निहारे जा रही हूँ

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17 APR AT 17:08

हो जाता है प्रेम
वश किसी का ख़ुद पर चलता नहीं
पर बना रहे प्रेम का सुंदर एहसास
प्रयत्न स्वयं करना होता है
विश्वास सम्मान समर्पण के संग
रिश्ते को लेकर चलना होता है
हो अगर मतभेद कभी तो
धैर्य रख एक- दूसरे को
सहजता से समझना होता है
प्रेम के अंकुरित बीज को
देखभाल स्नेह दुलार की
हवा खाद पानी से सींचना होता है
तभी बन पाता प्रेम रूपी विशाल वृक्ष
निःस्वार्थ भाव के फूल पत्तों से जो
हृदय आंगन में सदैव लहराता है

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17 APR AT 8:20

आशा रूपी चिड़िया
हृदय पिंजरे में
फड़फड़ाती रहती है
छूने को सपनों का आकाश
उड़ जाने को आतुर रहती है
सराहना का दाना पानी
उसका साहस बढ़ाता है
पर समाज रूपी बाज भी
भयभीत उसे करता रहता है
पर जानती है वो..
पंख मिले तो उड़ना होगा ही
टूटेगी बंधन की जाली और
स्वाभिमान की वायु
उसकी सांसों को गतिमान करेगी ही
विस्तृत आकाश में उसका भी
अपना एक आकाश होगा ही...!

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15 APR AT 21:35

इख़्तियार दिल पर दिमाग का कहाँ रहता है
जब हो जाए इश्क़ तो जमाना दुश्मन लगता है
हर लम्हा किसी के ख़वाब देखते ही बीतता
उस एक इंसान में ही खुदा दिखने लगता है

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15 APR AT 21:11

हम रेत के कच्चे घर बनाते रहते हैं
जिनसे मिलते उन्हें अपना बनाते रहते हैं
भूल जाते कि भरोसा कीमती चीज़ ठहरी
हर किसी से इसकी चाह करते रहते हैं

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15 APR AT 15:25

मुसीबत के वक़्त याद आता है
वक़्त की बेकदरी क्यूं की रोना आता है
जब था हाथ में हमारे सब समझी नहीं कीमत
अब अतीत का सब सोच ख़ुद पर गुस्सा आता है
रहे मस्त बेकार की बातों में रात-दिन पूरे लिप्त
सोच कर तब की अपनी दुर्बुद्धि पर पछतावा आता है
काम को आज कल पर टालते रहे यूं ही हर दिन
अब कुछ काम के ही न रहे किस्मत पर रोना आता है
वक़्त न ठहरता किसी के लिए भी किसी क्षण
रही क्यूं न बात याद नासमझी पर पछतावा आता है

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14 APR AT 21:04

थामे हाथों में हाथ
हृदय भी थामने होते हैं
अपनापन जताते हुए
अपना भी होना होता है
साथ निभाया किसने कितना
तराजू पर क्या तोलना होता है
मांगा साथ जब मिल गया तब
साथ होना भी क्या यही होता है
सुनो! छूटते साथ का तो
यहीं से आगाज़ होता है

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14 APR AT 19:59

कहो कौन बच सका इश्क़ की नज़र से
हर नज़र को देखा गया है इश्क़ की नज़र से
नहीं पता क्या लगा अच्छा क्यूं लगा अच्छा
हालात समझ नहीं आते इश्क़ की नज़र से
लगता कोई एक अपना ग़ैर सभी हो जाते
किसी ख़ास में दुनिया दिखती इश्क़ की नजर से
अजनबी इस दुनिया में अपना तो कोई हो
देखना जरूरी किसी एक को इश्क़ की नज़र से
😃👍

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13 APR AT 11:57

हर एक बात पर उलझना क्यूं
विचार न मिले तो झगड़ना क्यूं
सुने एक- दूसरे को सम्मान से हम
समाधान मिल जाएगा हताश होना क्यूं

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12 APR AT 23:43

साथ रहकर भी
हम दूर ही रहे
सोचते रहे कि
समझते हैं एक- दूसरे को
पर..
समझदारी से अनजान रहे
कैसा सफर रहा हमारा
'हम' होकर भी
मैं तुम बने रहे...|

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