Kya kami hai mujh me? yeh sawaal har raat sataata hai,
Har chhodhne wala ek naya zakhm de jaata hai!-
मोहब्बत मेरी, पर हक़ नहीं,
चाहा बहुत, पर इख़्तियार नहीं,
वो मेरा है, ये दिल कहता है,
मगर तक़दीर मेरी होशियार नहीं,
उसकी हँसी जो उसे मिली,
वो मेरी चाहत नहीं, उसकी तक़दीर बनी,
मैं बस एक अधूरी दास्तान हूँ,
एक ऐसी चाहत, जो मुकम्मल नहीं।-
सैकड़ों ख़ूबसूरत लम्हे ज़ेहन में सँजो रखे थे,
मगर तक़दीर की साज़िश ऐसी रही कि एक भी जी ना सकी…
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जब दर्द हद से बढ़ जाए,
और साँसें बोझ बन जाएँ,
तो क्या ज़िंदा रहना ज़रूरी है,
या बस एक ख़ामोशी ही काफ़ी है?-
रंग हाथ में लिए खड़े हैं, पर चेहरे अनजान हैं,
जिन्हें अपनाया था, वो ही अजनबी पहचान हैं।
होली के रंग चढ़ेंगे भी तो कब तक टिकेंगे,
जब लोग खुद को ही रोज़ बदलते दिखेंगे?-
हर कोई अपने रंग हर दिन बदल रहा है,
फिर भी होली मनाने को दिल मचल रहा है।
किसे पहचानें, किसे पराया जानें,
जब हर चेहरा नया नक़ाब पहन रहा है।-
Her heart longs for someone to hold her when the weight of sorrow unsettles her soul.
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Every part of my life feels like a mess—whether it’s my finances, health, family, friends, love, personal growth, or even my peace of mind. Nothing seems to be going right.
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