आँखों में आंसू, मन थोड़ा परेशान है पुराने हैं हादसे, फिर क्यों दिल हैरान है ढूंढ़ रहे हैं किरायेदार बेचैनियों से जो जिसे संजोया था दिल से, क्या ये वही मकान है?
आँखें सूजी-सूजी, ये आलम भीगा-भीगा है, बेवक्त, बेवजह, बेहिसाब तेरी यादों का डेरा है, कैसे कह दूं मोहब्बत है तुझसे दीवानगी की हद तक, उजालों का सूरज तू, मेरी किस्मत एक घना अंधेरा है।