बहकी -बहकी सी रहती हूँ,
झूठे ख्वाब की तरह तेरी दूरी सहती हू,
पास आके जो तू पास ना आया,
उस ग़म में सुखी पत्ती सी बहती हू|
तेरी जुल्फों में हाथ था मेरा,
मेरी हँसी में हमराज़ था तू मेरा,
बाते बनाकर छोड़ गया जो तू मुझे,
जैसे तेरी बेरुखी में भी अपराध था कोई मेरा|
तेरी पलकों की आस में भीग गई है आंख मेरी,
बना तुझे दिल-ए-खास साँस रुक गयी है मेरी,
तू बेवफा जो कहलाएगा,
उसमें भी कहीं गलती ना हो मेरी|
- Neha Duggal
25 MAR 2021 AT 23:39