क्यों कोई आदर्श चेहरा,क्यों कोई आदर्श बातें...?हम खुद में क्यों ना उतरे, खुद को क्यों ना झांके...।क्यों ये आंखे इस समाज सी,जो हर किसी को मापे...?क्यों ना खुद के विचारों में, हम खुद को ही आंके...।। -
क्यों कोई आदर्श चेहरा,क्यों कोई आदर्श बातें...?हम खुद में क्यों ना उतरे, खुद को क्यों ना झांके...।क्यों ये आंखे इस समाज सी,जो हर किसी को मापे...?क्यों ना खुद के विचारों में, हम खुद को ही आंके...।।
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