कुछ शब्द   (Something Through Me)
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Joined 9 January 2018


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24 MAR 2022 AT 0:29

कभी कभी..
इतना भर जाता हूं;
बातों से, ख्यालों से,
अनसुलझे जज़्बातों से..

कि बस अब;
चीख पड़ूं,
कह डालूं,
वो सब जो भर गया है..

खुद को खुद से,
अलग कर डालूं..

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15 MAR 2022 AT 15:48

शायद
इतना तो हक है..
मुझे
उस साथ गुजरे वक्त पे..
कि
उसको याद कर सकू..

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14 MAR 2022 AT 16:24

तेरे सवालों के;
मेरे सभी जवाब,
कसूरवार निकले।

तुझे रोकने के;
मेरे सभी प्रयास,
असफल निकले।
..

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14 MAR 2022 AT 2:05

लापरवाह, बेपरवाह हो गया हुं,
ध्यान रखना छोड़ दिया है।

अब नहीं जानता मैं खुदको,
मैंने पहचानना छोड़ दिया है।

एक दिल था;
जिन्दा भी था,
याद करना छोड़ दिया है।
..

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8 SEP 2021 AT 1:46

अजीब परवाना था वो..
उसने शमा जलाई
और उसमें जा समाया।

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8 SEP 2021 AT 1:42

दरिया में कूद गया वो शख़्स
जिसे तैरना नहीं आता था।




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29 JUN 2021 AT 2:34

अगर दुःख न होता..

खुशी, खुशी न होती..
जिंदगी, जिंदगी न होती...

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29 JUN 2021 AT 2:31

कुछ जाना,
बहुत कुछ न जान पाया।

दर्द कम न होता,
बस सहने की आदत सी हो जाती।


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29 DEC 2019 AT 0:46

यूं लगता है..
जैसे देर हो चुकी है
रात अब..
गहरी हो चुकी है

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14 NOV 2018 AT 0:07

रूका सा हूं,
पर रूकता नहीं मैं..

टूटा सा हूं,
पर टूटता नहीं मैं..

खुदा सा हूं,
पर खुदसा नहीं मैं..

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