20 OCT 2018 AT 13:08

करोगी मोहब्बत तो घर भी छोड़ना होगा
तुम्हारे साथ यह शहर ब छोड़ना होगा
टूट जायेगा घर वालो से भी रिश्ता माँ के हाथों से निवाले का रिश्ता ।
अनजान शहर में इश्क का बुखार भी मर जायेगा
भूख लगेगी तो प्यार भी मर जयेगा
बुलायेंगे घर वाले तो घर लौट जाओगो
हमे ठुकरा कर अपने शहर लौट जाओगी
हमे आएगा तुझे बहकाने का इल्जाम
लड़की पर नही आता भगाने का इल्ज़ाम
फंस जाएंगे हम जमाने के चक्कर मे जवानी निकल जायेगी थाने के चक्कर मे
अपने वयान से फिर तू पलट जायेगी
मेरी ज़िंदगी जेल में कट जाएगी
उम्र गुजरे जेल में ऐशी नोबत ही क्यों आये
हम चाहते ही नही की ,

- अज्ञात/मिश्र "प्रचंड"