अब, जब कि तुम चली गयी हो
मेरी जिंदगी से
मैं सोचता हूँ कि मुझे क्या करना चाहिए ?
तुम्हारी तस्वीरें दीवालों से
आलमीरा से, किताबों के पन्नों से
निकाल देनी चाहिए ?
नशे की बेहोशी में डुबो देना चाहिए खुद को ?
या, पंखे से फंदा लगाकर
खुदकुशी कर लेनी चाहिए ?
या फिर, इंतज़ार करना चाहिए
कि प्रकृति की तरह ही
पतझर के बाद
लौटेगा कोई वसन्त
जब वसन्त आता है
तो फूल जरूर खिलते हैं,
मंजरे भी लगती हैं,
और बदलते वक्त के साथ
फल भी आ ही जाते हैं,
पर पतझर में टूटे पत्तियों के दाग
डालियों पर हमेशा के लिए रह जाते हैं ..
ये दाग मुझे पसन्द नहीं ।
देखा है मैंने
जख़्म अक्सर नासूर हो जाया करते हैं ।
तो बताओ मुझे
अब, जब कि तुम चली गयी हो
मेरी जिंदगी से मुझे क्या करना चाहिए ?
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