"कब तक करता रहूँ मैं,
पूरी दुनियाँ से मोहब्बत….
अक्कड़- बक्कड़ करके ही सही,
यार ! चुन लो न तुम मुझे "
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एक तिल उग आया है
मेरे कांधे पर
तुम्हारे अलविदा कहकर जाते वक्त
यह चिपक गया था मुझसे शायद
जैसे बिंदी चिपकी रह जाती थी तुम्हारी
हर सुबह मेरे सीने पर
तुम नही हुईं
ये तिल तो उम्र भर के लिए होते हैं न ?-
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मैंने एक कहानी लिखी
सबने सराहा
उसने बस आह भरकर कहा -
"काश ! यह एक कहानी होती"
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गुदवा दो अगणित शिलालेख,
लिखवा दो अनेक ग्रन्थ,
या खड़े कर दो असंख्य संगमरीमरी महल
पर तुम्हारी तमाम कोशिशों के बावजूद
अंत तक
पृथ्वी पर बस बचेंगी
तितलियों द्वारा चूमी गयी
फूलों की पंखुड़ियाँ
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तुम राधा रही होगी,
या मीरा
या मेरी असंख्य प्रेमिकाओं में से कोई एक
मैं नहीं जानता
तुम कौन थी ?
पर तुम्हारे प्रेम ने
मुझे कृष्ण बना दिया ...
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धरम-करम के मामले में कोर्ट -जज क्या करेगा । अयप्पन महाराज ! क्षमा करना इनको । 🙏
इतनी सीढ़ियां मैं "आज नहीं" चढ़ सकती । फिर कभी चलेंगे ।🤒😔
अरे ! जल्दी चलो । सेल्फी लेकर इंस्टा पे डालनी है मुझे । हजार लाइक्स तो पक्के । 💃
(सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति : सुप्रीम कोर्ट )-
यह कौन है
जो
पसीने से लथपथ
दिन भर की थकन से चूर
माथे की लाल बिंदी,
ताड़ के पेड़ों जैसे लम्बे झुमके
और हरी चूनर उतार
उतर रही है रात के जल में
रोज देखता हूँ इसे
यूँ ही ख़ामोशी-से गुम होते
और अगली सुबह
सूरज सँग सज-संवरकर लौटते हुए
कौन है यह-
" ........मौसम-ए-इश्क़ हायकू-सा था,
हिज्र की रात दीर्घ उपन्यास बनी बैठी है ।
मुझे शब्द सीखने ही नहीं थे
काश ! मैं अनपढ़ ही रहा होता ....."-
"फूल बरसा है कल
तीन दिन का भूखा हरिया
आसमाँ तक रहा है
आज फल बरसे शायद ।"
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