तुझे सब माफ है . . .
तेरी नादानियाँ, तेरी शैतानियाँ सब
बस तू एक बार जो मुसकुरा के देखे, तो तुझे सब माफ है।
धुंधला सा याद है मुझे, हमारा वो देर रात तक बातें करना
साथ ही वो रूठना मनाना भी नहीं भूला हूँ मैं,
बस तू एक बार जो बात कर ले, तो तुझे मनाना भी मंज़ूर और तेरा रूठना सब माफ है।
काफी अरसा हो गया है अब उन बातों को
पर अच्छा ही है कि अब वो बात ना रही,
मेरी सोच में होते हुए भी तुम मेरे साथ ना रही।
और न जाने कब तुझे दूर करते तेरे पास आ गए।
कल भी ख्वाब कोई नया देख लेंगे,
यूँ सोचते हुए फिर चादर ओढ़ कर सो गए।
- अनु