24 MAR 2018 AT 21:41

मत भेदों की खाई पाले,
कल्पनाओं की अधूरी दास्ताँ,
ले बोझिल मन में चलने दो।
अश्क़ों की हैं नदियाँ उमड़ी,
उनको पलकों पर मिलने दो।
कुछ साथ चलने दो।
कुछ बात चलने दो।।
रात तिमिर में तुम मिल जाती,
ख़्वाबों में बातें कर जाती,
युही ख़्वाब में चलने दो।
नही मिल सके दो बदन जहाँ में,
पर रूह को साथ में चलने दो।
कुछ साथ चलने दो।
कुछ बात चलने दो।।

- ©Naren®