अधूरी ख्वाहिशें,
अधूरे सपने,
हक़ीक़त की दुनिया,
एक तुम ही अपने..-
अच्छे वक्त में तो सभी साथ देते हैं,
मैं तेरे बुरे वक्त में भी साथ निभाऊंगी..
तुम खुद को अकेला पा कर फिक्र न करना,
मैं हमेशा तुम्हारे साथ तुम्हारा हाथ थामे खड़ी नज़र आऊंगी...
दूर रहूं, तो डरना नहीं कि दूर हो जाऊंगी तुमसे,
अच्छा सुनो, तुम भले छुपा लेना अपनी परेशानियां सारी...
बस इतना समझ लेना,
तुम न भी कहोगे, चुप भी रहोगे,
मैं फिर भी तुम्हारी चुप्पी समझ जाऊंगी,
तुम्हारे हर दुःख,
हर दर्द, हर तकलीफ़ में साथ निभाऊंगी हमेशा...-
कभी तो, कुछ तो,
वैसा हो, जैसा हमने मिल कर सोचा था..
सोचा था, बहुत कुछ मगर,
अब क्या ही वो हो पायेगा,
सोचा था, हँस कर संग बीतेगी उम्र सारी,
किसे पता था, तन्हा राते रोते बीतेंगी सारी,
सोचा था, खुशियों का रैनबसेरा होगा,
किसे पता था, गमों का कुछ ज्यादा सख्त पहरा होगा
सोचा था, हर एक सुबह होगी मेरी तेरे साथ,
किसे पता था, बितानी पड़ेगी अकेले ही हर रात,
सोचा था, अपनी तो कहानी पूरी होगी,
किसे पता था, किसी की नज़र से ये जिंदगानी अधूरी होगी..-
माना तैरना नहीं आता मुझे,
फिर भी तुझे डूबने से बचाने आऊंगी हमेशा..
तुम भले हाथ न बढ़ाना मैं अपने कदम बढ़ा तेरे करीब आ जाऊंगी..-
अच्छा.. ठीक हैं,
चलो तुम्हें जाने देते है,
बेनाम बंधन था जो हमारा..
आज उससे तुम्हें आज़ाद करते है,
खुश रहना तुम,
देखना कोई ग़म छू न पाएं तुमको,
खुद से लड़ना छोड़,
मोहब्बत करना तुम..-
होंठ सीले रह गए,
दिल चीख़ता रहा..
आँखें नम हो गई,
कपड़ा भीगता रहा..
सीने से लगा कर भी,
हम कह न सके
और..
सब टूट कर बिखरता रहा..!!-
छुपाएं न छुपा पाती हैं,
ये आँखें सब बयां कर जाती है,
चाहे हो दुःख के आंसू,
या हो खुशियों की बरसात,
हो नफ़रत की आग,
या फिर प्यार के जज़्बात,
ये तो आँखें हैं,
छुपाएं न छुपा पाती है चाहे हो कोई भी हालात...-
जब करीब आ कर भी,
दूरियां बरक़रार रही,
महसूस तब हुआ,
खो चुके है जाने कब के ही,
बस बात अब समझ आई हैं...-