14 AUG 2017 AT 16:57

कहने को तो लेखक है जनाब
बातें भी क्या खूब किया करते हैं
अपने शब्दों के जादू से सबको मोह लिया करते हैं
चाहे बेरोज़गारी पर लिखना हो या किसी के अत्याचारों पर
क्या खूब तंज कसा करते हैं
अपने एक मात्र लेख से ही दोषियों को पानी पानी कर दिया करते हैं
राजनीति हो या हो शोषण किसी का,
या हो वो वृद्ध आश्रम की बातें
सब पर लिख अपनी सोच को महान सिद्ध किया करते हैं
ये वही लेखक है जनाब
जो घर में अपनी बीवी को पीटा करते हैं,
और बाहर घरेलू हिंसा के बड़े बड़े उपदेश दिया करते हैं
माँ को तो जैसे भूले ज़माना हो गया है
सबको इज़्ज़त का पाठ पढ़ा खुद की माँ को वृद्धाश्रम में छोड़ा हैं।
लड़कियों के हक की बात करते हैं जनाब
और खुद की अजन्मी बिटिया को,
अपनी बीवी की कोख में ही रौंदा हैं।
खुद की सोच है दकियानूसी और दूसरों की सोच को दर्शाते हैं,
उनके अत्याचारो को लिख खुद महान बन जाते हैं।
खुद की नीयत खराब है और दूसरों की नीयत की बातें करते हैं
खुद बेज़्ज़त करते है औरतों को, और उनकी इज़्ज़त की बातें लिखते हैं।
जात-पात, धर्म, मज़हब की सीख हैं देते
सबको इससे ऊपर उठने को कहते हैं
और जनाब अपने ही घर में छोटू को भला बुरा कहते हैं।
कहाँ तो बड़े बड़े उपन्यास लिखे हुए है जनाब ने
बाल मज़दूरी का विरोध तक जताया हैं,
पर अपने घर में ही छोटू से काम करा उसपर खूब अत्याचार ढाया हैं।
(Full in caption)
-Naina Arora

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