Muskan Thakur
-
काफ़ी वक़्त गुज़र गया, मेरे दिल से मेरी बात नहीं हुई,
बोशिदा-सा मन लिए, कोने में बैठी हूँ,
ख़ुद से ही मुलाक़ात नहीं हुई।
लोगों को शिकायत है, मुझसे यूँ बेरुख़ी से पेश आने की,
मैं तो बस आइना लेकर बैठी थी—
उन्हें अपनी ही शख़्सियत बर्दाश्त नहीं हुई।
Muskan Thakur-
आपकी मनःस्थिति आपको बताती है
कि आप समय के साथ हैं या उसके विरुद्ध
Muskan Thakur-
"मेरे अंदर का द्वंद्व इतना संगीन है, कि अगर मैं बाहर किसी को लड़ते देखूं, तो मुझे हंसी आती है।"
Muskan Thakur-
"बुज़दिलो का कारवां हैं, यहां लोग दिलों का शिकार करते हैं,
मासूम जज़्बातों से खेलकर, फ़ख्र से इंकार करते हैं।
Muskan Thakur-
"तुम कभी दिल से मिलते तो बताती
मेरे ख्यालों के शहर में क्या मुकाम था तेरा"
Muskan Thakur-
If you have been abandoned by a loved one, the universe wants you to become a better version of yourself, not to turn into a pile of garbage.
Muskan Thakur-
"दोहरी ज़िंदगी जी रही हूँ मैं आजकल,
तजुर्बों की दहलीज़ पर बैठकर
कच्ची उम्र के ज़ख़्मों की कमीज़ सी रही हूँ मैं आजकल..."
Muskan Thakur-
कहानी बनते हैं
रंगो की दुनियां में हम
बेरंगो में भी जीते हैं
यहां हर किसी का किस्सा निराला है
कुछ लोगों के लिए नया
और कुछ के लिए पुराना है
Muskan Thakur-