मानसून की पहली बूंदे.....
पग-पग में खुला आसमां ,
और सुनहरी धरती,,
विरह की पीड़ा में ,
पल पल तड़पती,,
कुछ रोता हुआ यूँ बादल आया,
विरह मिटाने संग अपनी पहली बारिश लाया.,,
पल-पल ,झर-झर यूँ बूंदे गिरी,
धरा का जिसने अंग-अंग भिगोया,,
खुशहाली छायी चेहरे पर किसान की,
जिसने अपने पसीने से धरा को संजोया.,,
झूम उठा मोर भी इस मौसम में,
जब पहली बारिश लेकर मानसून आया,,
- मुकेश पटेल