7 DEC 2022 AT 18:24

टूट ना जाए शीशे सा सपना मेरा,
न पत्थर मारे कोई मेरी उम्मीदों पर ,
बार-बार कोशिश की मैंने...
सफल होना ही था मुझे कभी तो जिंदगी में ,
मंजिल को पाने की ,बार-बार कोशिश की मैंने ...
तेरना कहां आता था, डूबना जाओ इसलिए ,
आने की किनार ,बार-बार कोशिश की मैंने....
ना ही पीछे हटे हम अपने लक्ष्य से,
और ना ही कभी मानी हार ,
बार-बार कोशिश की मैंने....
ए जिंदगी ! तू भी जख्म देती रहे ,
सह लेंगे हम हो गया है हमें भी दुश्वार,
बार-बार कोशिश की मैंने ....
लिखना मेरा शौक ही नहीं मेरा जुनून है,
तुम देते रहो अल्फाज मैं लिखती रहूंगी गजल ,
बार-बार कोशिश की मैंने....

- Farida Rizwan Desar