आँखों बालों में ऐसे उलझेखुशबो-ए-बदन कत्ल कर बैठामेरा कसूर नहीं था इश्क से जूझने में गलती दिल की ही थी गजल कर बैठा -
आँखों बालों में ऐसे उलझेखुशबो-ए-बदन कत्ल कर बैठामेरा कसूर नहीं था इश्क से जूझने में गलती दिल की ही थी गजल कर बैठा
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