एक स्त्री की परिभाषा
परंपराओ से घिरी
फिर भी हर कसौटी की सीढ़ी चढ़ कर
सारी ज़िन्दगी भर हर एक चुनौतियों को चुम कर
खड़ी उतरी सभी के उम्मीदों के काबिल एक स्त्री है।
चट्टानों से भी ऊँचे जिसके ख्वाब थे
वही चट्टानों सी मज़बूत हालातों के हाथों बनती है एक स्त्री।
सभी के उम्मीदों में खरे उतरते उतरते
अपने उम्मीदों का बलिदान देती एक स्त्री है।
हे स्त्री तू ममता कर्त्तव्य की मिसाल दी जाने वाली
इस पूरे विश्व ब्रह्माण्ड को अपने अंदर समा कर
रखने वाली एक दिन तेरे लिए अर्पित क्या हो
हर दिन की शुरआत और हर दिन का अंत बस तू ही है।
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