शामें आज भी ज्यों की त्यों सताती है “मोहित"
रात की मोमबत्ती उसकी याद को ख़ालिस कर देती है...-
I find it kinda sad,
The dreams in which I am dying
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मैं क्या हूँ?
तुम क्या हो?
हमारे लिए कोई शब्द बने ही नहीं।
हम बस है
और हमेशा रहेंगे।-
“आज मैने अपने घर से अपना नाम मिटा दिया है,
आज मैंने अपने होने का एक निशान मिटा दिया है..."-
उसके घर से मेरे घर तक बस एक गाने भर की दूरी है, पर उसका मन मेरे मन से कई प्रकाश वर्ष की दूरी पार कर चुका है। फिर भी मैं निर्लज्ज सा आसमान तकता पाया जाता हूँ।
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क्या चल रहा हैं दुनिया जहाँ में,
मैने इन सब से मुकर जाना है।
मुझे उसके शहर जाना है,
मुझे अपने घर जाना है।-
“तुम जा चुकी हो"
तुम हर वो चीज कर रही हो
जिसे करने से मैने तुम्हे रोके रखा था।
जैसे कि अपने बालों को लाल करना।
किसी वजह से मलाल करना।
मीठी बातों को संसार करना।
अपने आधे सच का बुरा हाल करना।
मेरे अच्छे सपनों का इंतिक़ाल करना।
कहीं भीड़ में खुद को अलग कर मेरा हाल बेहाल करना।
और सबसे जरूरी, मेरे दिल के टुकड़े चार करना।
तब भी मैं आज भी वही खड़ा हूँ जहां गले लगाते हुए तुमने हम दोनों की धड़कनों को एक किया था।-
उतना अच्छा बनने की जद्दोजहद में हूँ की तराश तराश कर मोती जोड़ रहा हूँ। हर दिन लगता है पहले से बेहतर हो रहा हूँ। हर दिन माला में एक एक मोती जुड़ जा रहा है। पर फिर भी डर है उन अपेक्षाओं का जो मेरे बेहतर होने पर मन को घेरने की तैयारी में है।
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मेरे सारे खोंखले सपनो का भार मैं उठा चुका हूँ
अब जो भारी बचे सपने है उनकी नैय्या पार लगानी है-